मरहूम महमूद अहमद उर्फ़ महमूद हसन की कीमती ज़मीनों पर टिकी भू – माफियाओं की नज़र
– एक विवादित सहकारी कर्मी बना मास्टर माइंड, महमूद को लगा चुका हैं करोड़ो की चपत
– दस हज़ार महीने का नौकर कैसे बना करोड़पति, 33 लाख खाते से निकालने का आरोप
– और जब गाटा संख्या 1462अ एवं 1462ब से जुड़ी जीएस लैंड में करवा दिया था आठ बैनामे, टिटिम्मा की अजब कहानी
– राधानगर की ज़मीन पर अतीक के ख़ास रहमानी लंबरदार से हुईं सेटिंग
– तल-तला की कीमती ज़मीन पर भी नियत हुईं ख़राब
फोटो परिचय – गूगल से लिया गया चित्र
मो. ज़र्रेयाब खान अज़रा न्यूज़ – फतेहपुर। जीवन के अंतिम लगभग दस वर्षों में मरहूम महमूद अहमद उर्फ़ महमूद हसन की करोड़ों की सम्पत्ति के वारे-न्यारे करने वाले भू – माफियाओं की नज़र अब उसकी दस बीघे के क़रीब राधा नगर इलाक़े की कीमती जमीन पर टिक गई हैं। इस खेल में मास्टर माइंड एक विवादित सहकारी कर्मी का नाम प्रमुखता से चर्चा में हैं, जिसपर पूर्व में महमूद की बीमारी का फ़ायदा उठा कर उसके बैंक खाते से लगभग तेतीस लाख रुपए पार कर देने और गाटा संख्या 1462अ एवं 1462ब में कई कीमती प्लाटों को अपने परिजनों के नाम बैनामा करवाने और तल-तला की कीमती कई बीघे ज़मीन अपने नाम करवाने का आरोप है। बड़ी बात यह भी है कि इन दोनों गाटा संख्या वाली कई बीघे कृषि से आवासीय में बगैर परिवर्तित करवाएं और बगैर ले आउट के दर्जनों बैनामें हो गए और निर्माण भी हो गए। इतना ही नहीं खतौनी में भी कहीं प्लाटों का उल्लेख नहीं है।
ग़ौरतलब है कि फतेहपुर शहर के पनी मोहल्ला निवासी मरहूम महमूद अहमद उर्फ़ महमूद हसन जो बे-औलाद था, कुछ वर्ष पूर्व उसकी मुलाक़ात सहकारिता विभाग के एक फरार चल रहे खिलाड़ी कर्मचारी से हुईं, अपनी वृद्धा अवस्था एवं अस्वस्थता के चलते सहयोग एवं लिखा पढ़ी के लिए महमूद ने उपरोक्त शातिर सहकारी कर्मी को दस हजार रुपए मासिक पारिश्रमिक पर रखा था। अकूत चल-अचल संपत्ति के स्वामी महमूद अहमद उर्फ़ महमूद हसन से रखरखाव के बहाने जैसे ही समूची सम्पत्ति के दस्तावेज उपरोक्त शातिर सहकारी कर्मी ने हासिल कर लिए तो वहीं से खेल शुरू कर दिया।
बताते हैं कि इस दौरान महमूद अहमद उर्फ़ महमूद हसन ने कई कीमती जमीनों का सौदा किया जिसको उपरोक्त शातिर सहकारी कर्मी ने पार करवा दिया, जिनकी कीमत करोड़ों में बताई जाती हैं। इतना ही नहीं उपरोक्त शातिर सहकारी कर्मी ने अपने और अपने परिजनों के नाम भी करोड़ों की कीमत वाली जमीनों का बैनामा करवा दिया। शातिर दिमाग सहकारी कर्मी ने गाटा संख्या 1462 अ एवं 1462 ब में भी तगड़ा खेल किया
कई कीमती प्लाटों को अपने परिजनों के नाम बैनामा करवाने में सफल रहा। विक्रय पत्र में पचास से सत्तर लाख कीमत वाले प्लाटों को सिर्फ़ एक- एक लाख रूपये में खरीद दिखाई गई हैं!
शातिर दिमाग सहकारी कर्मी का मिशन यहीं नहीं रुका, उसने कई करोड़ कीमत वाले महमूद के राधानगर इलाके की जमीनों पर या तो मोटी रकमें लेकर अवैध कब्जे करवा दिए या फिर बीमार महमूद से कौड़ियों के दाम बैनामा करवा दिया। बाद में तत्कालीन सब रजिस्ट्रार सदर ने दिमागी अस्वस्थ महमूद को रजिस्ट्री करने में रोक लगाई गई। ख़बर है कि दाम किसी का और काम किसी का – इस कहावत को चरित्रार्थ करते हुए उपरोक्त शातिर दिमाग सहकारी कर्मी ने तल – तला की कीमती कई बीघे ज़मीन का बैनामा अपने नाम करवा लिया, जिसकी कीमत इस समय कई करोड़ रुपए बताई जाती हैं।
एक अन्य जानकारी के अनुसार उपरोक्त शातिर ने गाटा संख्या 1462अ एवं 1462ब से जुड़ी हुईं जीएस लैंड (सरकारी ज़मीन) में महमूद आदि से आठ प्लाटों का बैनामा अलग अलग लोगों के नाम करवा दिया, जिसे बाद में तत्कालीन एडीएम उदय राज ने एक शिकायत पर पकड़ लिया तो सेटिंग-गेटिंग करके टिटिम्मा करवाकर चौहद्दी बदलवाई गई, तब जाकर कानूनी कानूनी पचड़े से गर्दन बची। ख़बर है कि उपरोक्त शातिर दिमाग द्वारा इसी सरकारी लैंड पर महमूद आदि से और भी बैनामे करवाएं गए हैं, जिनमें ब- कायदा निर्माण भी हो चुके हैं। जो आगे चलकर उसकी असमय मौत का बड़ा कारण भी बताया जाता हैं!
सूत्र बताते हैं कि बाद उपरोक्त शातिर दिमाग़ सहकारी कर्मी ने एक भू-माफिया गैंगस्टर के साथ मिलकर महमूद अहमद उर्फ़ महमूद हसन की मौत के बाद उसकी दर्जनों बीघे कीमती ज़मीन पर नज़र गड़ा दी है। सबसे पहले राधानगर की ज़मीन को ठिकाने लगाने की योजना हैं, इसके लिए प्रयागराज के मरहूम डॉन/माफिया अतीक अहमद के ख़ास रहमानी लंबरदार से सेटिंग की गई हैं, जिसे शुक्रवार को पूरी लैंड भी दिखा दी गई हैं और डाक बंगले के निकट स्थित एक पैथोलॉजी में मिशन को अमलीजामा पहनाने की योजना को अंतिम रूप भी दे दिया गया है।
ख़बर है कि ज़िले में छोटी- बड़ी मिलाकर कुल 63 लैंड हैं, जिनपर चौरासी बीघे के क़रीब प्लाटिंग वाली और कृषि योग्य ज़मीन को ठिकाने लगाने की योजना शातिर दिमाग़ सहकारी कर्मी ने भू माफियाओं के जरिए बनाई हैं, जिसमें मरहूम महमूद अहमद उर्फ़ महमूद हसन के कुछ परिजनों की भी भूमिका महत्वपूर्ण बताई जाती हैं। इसके अलावा राधा नगर वाली लैंड में उपरोक्त शातिर दिमाग सहकारी कर्मी द्वारा महमूद के जीवित रहते जिन तेईस लोगों से लगभग 83 लाख रुपए बयाना के रूप में एडवांस लेकर डकारा जा चुका हैं, उनको बरसात चढ़ते ही बैनामा करवाने का भरोसा दिलाया गया था, फिलहाल इन लोगों को अवैध रूप से काबिज़ कराने की रणनीति बनाई गई है, जिसको लेकर किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता हैं।
यहां पर यह कहना कतई गलत न होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस मद में सख्ती के बावजूद ज़िला प्रशासन ख़ासकर राजस्व और पुलिस विभाग ज़मीनों से जुड़े मामलों के प्रति कतई संजीदा नहीं हैं। नतीजतन भू-माफिया अपने उद्देश्य में आसानी से सफ़ल होते रहते हैं। महमूद अहमद उर्फ़ महमूद हसन की ज़मीनों पर जिस तरह भू-माफियाओ ने नज़र गड़ा दी है, उससे इसके भी जल्द ठिकाने लगने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता हैं और फिर जब सहकारिता का शातिर दिमाग़ लगा हो तो उसका बच पाना और मुश्किल होगा। ऐसे में जिला प्रशासन की भी परीक्षा होगी कि क्या उसके रुख में कुछ बदलाव आता है या फिर एक और प्रकरण इतिहास बन जाता हैं…!
उपरोक्त शातिर सहकारी कर्मी के बारे में सूत्र बताते हैं कि कुछ वर्ष पूर्व उस पर सहकारी विभाग में मोटा गबन करने की एफ़.आई.आर. दर्ज़ हुईं थी, उसके बाद धनबल के चलते संबंधित पत्रावली को दबवाकर आज उपरोक्त शातिर संबंधित विभाग का डॉन माना जाता हैं, जिसके इशारे पर विभाग का सारा सिस्टम नाचता है…!