मुहर्रम के बीसवां का हुआ आयोजन, अंजुमनों ने नौहा पढ़ मातम किया

    मुहर्रम के बीसवां का हुआ आयोजन, अंजुमनों ने नौहा पढ़ मातम किया

करबला के शहीदों को दिया गया पुरसा

संवाददाता “राज यादव” अज़रा न्यूज़ – फतेहपुर। करबला के 72 शहीदों की याद में मुहर्रम माह के बीसवां का आयोजन सुल्तानपुर घोष थाना क्षेत्र के उमरपुर गौती (काजीपुर) एवं हथगाम थाना क्षेत्र के बंदीपुर गांव में अकीदत के साथ मनाया गया है। इस दौरान करबला के शहीदों को अकीदतमंदों ने पुरसा दिया है।
बताते चलें कि इस्लाम धर्म के पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन एवं उनके 71 अन्य साथियों को करबला के मैदान में हक़ और बातिल की लड़ाई में यजीदी सेना की जुल्म और बर्बरता के साथ कत्ल किया गया था। इस घटना के बाद इस्लाम का बोलबाला हुआ और यजीदी जंग जीतकर भी परास्त हो गए थे जबकि हुसैनियों ने अल्लाह की राह में कत्ल होकर इस्लाम का बोलबाला और डंका बजा दिया। इसी करबला के वाक्या के बाद से ही मुहर्रम माह में इमाम हुसैन और अहले बैत के साथ ही करबला के शहीदों की याद में मुस्लिम (सिया और सुन्नी दोनों समुदाय) बीते चौदह सौ वर्षों से ग़मे हुसैन मनाते आ रहे हैं। इसी कड़ी में खागा तहसील क्षेत्रांतर्गत शनिवार की देर रात काजीपुर और बंदीपुर में बीसवां का आयोजन किया गया। जहां दोनों जगह इलाकाई अंजुमनों के साथ ही अन्य जिले की अंजुमनों ने हिस्सा लेते हुए मातम और नौहा पेश करते हुए शहीदों को पुरसा दिया गया है।
इस दौरान बंदीपुर में साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान जबकि काजीपुर में साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी ने शिरकत करते हुए मुहर्रम कमेटी के साथ ही आई हुई अंजुमनों का हौसला अफजाई किया है। लोगों ने कहा कि मुहर्रम का पैगाम हक़ और बातिल से था जहां लोगों को इस्लाम के पैगाम को कुचलने का कुचक्र यजीद ने रचा था लेकिन इस्लाम को बचाने के लिए इमाम हुसैन ने अपने घर और कुनबे को अल्लाह की राह में कत्ल कराकर इस्लाम का बोलबाला कर दिया और इस्लाम को बचा लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *