अधिवक्ताओं व वादकारियों के हित को लेकर वकीलों ने आवाज बुलंद की। कहा गया कि प्रदेश तक में 80 फीसदी अधिवक्ता को बिना किसी आय के प्रतिदिन अपने घर वापस होना पड़ता है

80 फीसदी अधिवक्ता को बिना आय घर वापस लौटना पड़ता

मांगो को लेकर अधिवक्ताओ ने फिर की आवाज बुलंद

फोटो परिचय- कलेक्टेªट में ज्ञापन देने जाते अधिवक्तागण।

फतेहपुर। अधिवक्ताओं व वादकारियों के हित को लेकर वकीलों ने आवाज बुलंद की। कहा गया कि प्रदेश तक में 80 फीसदी अधिवक्ता को बिना किसी आय के प्रतिदिन अपने घर वापस होना पड़ता है। कलेक्ट्रेट में खुलासा किया कि कई बार शीघ्र निर्णय एवं पुराने कानूनों में सशोधन को लेकर ज्ञापन दिये गये। जिस पर वर्तमान केन्द्रीय सरकार व प्रदेश सरकार में आईपीसी व सीआरपीसी सहित तमाम कानूनों में संशोधन करने का आदेश कर चुकी है। अधिवक्ताओं की तरफ से केन्द्र एवं प्रतीय सरकार को धन्यवाद है। अब आवश्यकता इस समय की है कि लोकसभा व विधान सभा में प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं की संख्या एकदम नगण्य हो चुकी है। जिस कारण अधिवक्ताओं व वादकारियों की समस्या पर कोई चिन्तन नहीं हो रहा है। जिले से प्रदेश तक में 80 फीसदी अधिवक्ता को बिना किसी आय के प्रतिदिन अपने घर वापस होना पड़ता है। सरकारी नौकरी के अभाव में जिलों में गाँव की संख्या से तीन गुना अधिवक्ता बढ़ चुके हैं। पांच वर्ष के अन्दर के प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं को अधिवक्तानिधि के रूप में कम से कम 5000/-रुपया की आर्थिक मदद प्रतिमाह दी जाए। प्रत्येक राजनैतिक दल द्वारा दस फीसदी प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं से अपने-अपने दलों से लोकसभा व विधान सभा आदि में भेजने का कानून बनाया जाए। 310 वर्ष के अन्दर के प्रैक्टिसिग अधिवक्ताओं को ब्याज मुक्त ऋण की सुविधा भवन आदि बनाने में उपलब्ध कराई जाय। बार काउंसिल के रजिस्ट्रेशन के बाद एआईबीई के एग्जाम को शुल्क मुक्त किया जाय। लोक अदालतों द्वारा निर्णीत कराये गये मुकदमों में सम्बन्धित अधिवक्ताओं को दस हजार रुपये की फीस उपलब्ध करायी जाए। बढ़ती आबादी एवं बढ़ते वादों के कारण न्यायिक अधिकारियों व स्टाफ को बढ़ाया जाए। प्रदर्शन की अगुवाई प्रान्त संयोजक आरपी मौर्या ने किया। इस मौके पर जिलाध्यक्ष श्रीकृष्ण गुप्त एडवोकेट, रंजीत पटेल एडवोकेट (किसान नेता), रिशू सोनी एडवोकेट, ओमप्रकाश पाल एडवोकेट, धीरेन्द्र बहादुर पासवान एडवोकेट, विकास कुमार एडवोकेट आदि मौजूद रहे।

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