गीता जयंती एवं स्मृति शेष डॉ हरि प्रसाद शुक्ल अकिंचन की 6 वीं पुण्यतिथि पर साहित्य भारती भदबा के तत्वावधान में हवन पूजन के बाद प्रो. डॉ अश्वनी कुमार शुक्ल का स

गीता जयंती पर प्रो. अश्वनी शुक्ल का हुआ सारस्वत अभिनंदन

- सम्मेलन में कवियों ने पेश किए एक से बढ़कर एक काव्य पाठ

फोटो परिचय- प्रो. अश्वनी शुक्ल को सम्मानित करते आयोजक।

मो. ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज फतेहपुर। गीता जयंती एवं स्मृति शेष डॉ हरि प्रसाद शुक्ल अकिंचन की 6 वीं पुण्यतिथि पर साहित्य भारती भदबा के तत्वावधान में हवन पूजन के बाद प्रो. डॉ अश्वनी कुमार शुक्ल का सरस्वत अभिनंदन किया गया। बाद में आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने काव्य पाठ किया। साहित्य भारती के अध्यक्ष ओम प्रकाश शुक्ल प्रणव, डॉक्टर अवनीश शुक्ल, प्रभात शुक्ल ने आए अतिथियों का बैज अलंकरण व माल्यार्पण कर स्वागत किया।

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता व्याकरणाचार्य सत्यानंद शुक्ला ने किया। डॉ अश्विनी शुक्ला ने काव्य पाठ करते हुए पढ़ा कि शकुनीपाशी आस्थाओं वाले दूरभि संधि दुर्याेधन पढ़ा। ओम प्रकाश शुक्ल प्रणव ने अभिनंदन की बेला में, सिर नीर भरी गागर भरवाए पढ़ा वहीं डॉक्टर राम लखन सिंह परिहार ने पथिक वाणी में मिसरी घोल, ग्रंथियां धीरे-धीरे खोल पढ़ा। राम सजीवन मिश्र निर्मल ने गीता जय गीत गाए, संशय क्षण बीत जाए पढ़ा। संचालन करते हुए शिवशरण सिंह चौहान अंशुमाली ने संकट में है देश तुम्हारा मत श्रंगारी लिखो, लिखो अरे तो वीर शहीदी बलिदानी के गीत लिखो पढ़कर श्रोताओं में ओज भर दिया। काव्य पाठ को आगे बढ़ाते हुए व्याकरणाचार्य सत्यानंद शुक्ल, आचार्य रामकृपाल मिश्र उज्जवल, डॉक्टर गया प्रसाद सनेही, केपी सिंह कछवाह, शिव प्रताप सिंह सूर्य, दीपचंद्र गुप्त दीप व आकाश महाराज ने भी अपनी रचनाएं पढ़ी। इस मौके पर अवधेश शुक्ल, सनत कुमार शुक्ल, नीरज मिश्र सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

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