सुप्रीम कोर्ट ने नागपुर की फुटाला लेक से जुड़े निर्माण कार्यों पर रोक लगाने का फैसला लिया है। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार के साथ-साथ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन पर भी रोक लगाई है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ ने यह आदेश पारित किया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महाराष्ट्र के नागपुर में फुटाला लेक पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। अदालत ने कहा कि झील पर किसी तरह का निर्माण कार्य करने से महाराष्ट्र सरकार और मेट्रो रेल कॉरपोरेशन पर रोक लगाई जाती है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यह आदेश पारित किया। बता दें कि फुटाला लेक भोंसले राजाओं ने बनवाई थी। नागपुर में लगभग 60 एकड़ भूमि पर बनी इस झील को महाराष्ट्र के सबसे महत्वपूर्ण जल निकायों में से एक माना जाता है।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की पीठ में गुरुवार को वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने पैरवी की। अदालत को बताया गया कि फुटाला लेक की अहमियत को देखते हुए झील का संरक्षण जरूरी है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस जल निकाय को बचाने के लिए निर्माण रोकने के लिए यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश जरूरी है। अदालत में बताया गया कि फुटाला लेक पर कंक्रीट की कई संरचनाओं का निर्माण हो चुका है।

दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने स्वीकार किया कि मामला संवेदनशील है। कोर्ट ने कहा कि आर्द्र भूभाग काफी कम मात्रा में बची हैं। ऐसे में अधिकारियों को फिलहाल निर्माण कार्य जारी रखने से परहेज करना चाहिए। अदालत ने सवाल किया कि झील के अस्तित्व पर संकट बन चुकी कंक्रीट संरचनाओं को कब हटाया जाएगा? बता दें कि झील घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए दर्शक दीर्घा का निर्माण भी कराया गया है। अदालत ने इसे हटाने को लेकर भी तीखा सवाल किया।

वकील शंकरनारायण ने कहा कि पर्यावरण और वन मंत्रालय ने झील को वेटलैंड घोषित कर रखा है। इसके बावजूद तालाब में 7000 टन से अधिक कंक्रीट डंप की गई। सौंदर्यीकरण के नाम पर झील के बीच में स्टील के फव्वारे का निर्माण भी कराया जा रहा है। निर्माण कार्यों पर रोक की अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट में वकील शंकरनारायण ने कहा, झील किनारे 16 हजार वर्गफीट जमीन पर दर्शकों के लिए गैलरी बनाई जा रही है। ऐसे निर्माण से झील का अस्तित्व संकट में पड़ने का खतरा है।

गौरतलब है कि नागपुर में पर्यावरण से जुड़े मामलों पर आवाज उठाने वाले गैर सरकारी संगठन (NGO)- स्वच्छ नागपुर अभियान ने फुटाला लेक को बचाने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट में फुटाला झील को आर्द्र भूमि बताते हुए निर्माण कार्यों पर अंकुश लगाने की अपील की गई। अदालत को बताया गया कि कंक्रीट के जंगलों के कारण यहां के पारिस्थितिकी तंत्र और जलीय जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। दलीलों को सुनने के बाद गुरुवार को कोर्ट ने निर्माण पर रोक लगाने का निर्देश दिया।

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