Supreme Court: भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की पदोन्नति को लेकर बनाई एक व्यापक नीति इस साल 31 मार्च तक लागू हो जाएगी। केंद्र सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को यह जानकारी दी।

केंद्र सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की पदोन्नति को लेकर बनाई एक व्यापक नीति इस साल 31 मार्च तक लागू हो जाएगी। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर बालासुब्रमण्यम की दलीलों का संज्ञान लिया और निर्देश दिया कि एक अप्रैल तक इस पर एक अपडेटेड स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जाए।

सीजेआई चंद्रचूड़ के साथ पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे। बालासुब्रमण्यम ने पीठ से कहा, 'महिला अधिकारियों के करियर में प्रगति और नियमित प्रमुख इकाइयों में कमान पर 31 मार्च, 2024 तक एक विस्तृत नीति लागू की जाएगी।' कुछ महिला अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ वकील वी मोहना पेश हुए। उन्होने अदालत से कहा कि पदोन्नत किए गए सभी 225 पुरुष अधिकारियों को नियमित प्रमुख इकाइयों में कमान का पद दिया गया है। उन्होंने कहा कि 108 महिला अधिकारियों में से केवल 32 को ही नियमित इकाइयों में कमान की स्थित दी गई।

शीर्ष अदालत को पिछले साल चार दिसंबर को बताया गया था कि भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की पदोन्नति के मुद्दे से निपटने और कर्नल से ब्रिगेडियर के पद पर उनकी प्रगति पर विचार करने के लिए एक नीति तैयार करने पर विचार-विमर्श चल रहा है। उच्चतम न्यायालय ने तब सेना को महिला अधिकारियों की पदोन्नति पर पहले के निर्देश के अनुसार एक नीति तैयार करने के लिए 31 मार्च, 2024 तक का समय दिया था।

दरअसल, सेना की कुछ महिला अधिकारियों ने कर्नल रैंक से ब्रिगेडियर रैंक में पदोन्नति में भेदभाव का आरोप लगाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने 17 फरवरी 2020 को एक ऐतिहासिक फैसला दिया था। इसमें सेना में महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन का आदेश दिया गया था। जिसमें अदालत ने केंद्र के रुख को लिंग रुढ़िवादिता पर आधारित बताया था और इसे महिलाओं के साथ लैंगिंक भेदभाव कहा था।

अदालत ने निर्देश दिया था कि सभी सेवारत शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन के लिए विचार किया जाना चाहिए। भले ही उन्होंने 14 साल या 20 साल की सेवा तीन महीने के भीतर पूरी कर ली हो। बाद में 17 मार्च 2020 को एक दूसरे बड़े फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि एक समान अवसर सुनिश्चित करने से महिलाओं को भेदभाव के इतिहास के इतिहास को खत्म करने का मौका मिलेगा।

Azra News

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