रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हाल के दिनों में गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों (एनबीएफआई) के संबंध में आरबीआई की ओर से दी गई सलाह ने इस क्षेत्र में अनुपालन से जुड़ी कमियों को उजागर किया है। हालांकि इसके अनुपालन से बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है।

फिच रेटिंग्स का मानना है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) में कॉरपोरेट गवर्नेंस और जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हालिया प्रयास सफल होने पर लंबी अवधि में उद्योग के जोखिम को कम कर सकते हैं, लेकिन इससे प्रभावित गैर-बैंकिंग इकाइयों के लिए निकट अवधि में व्यापार में उतार-चढ़ाव बढ़ेगा।

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हाल के दिनों में गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों (एनबीएफआई) के संबंध में आरबीआई की ओर से दी गई सलाह ने इस क्षेत्र में अनुपालन से जुड़ी कमियों को उजागर किया है।


आरबीआई ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि एनबीएफआई को 20,000 रुपये (लगभग 240 डॉलर) से कम के नकद ऋण के वितरण पर मौजूदा नियामकीय सीमाओं का पालन करना चाहिए।

फिच ने कहा कि भारत में गोल्ड लोन अक्सर नकद में दिया जाता है, क्योंकि यह कई ग्रामीण और अर्ध-शहरी उधारकर्ताओं के लिए ऋण का स्रोत है। फिच की रेटिंग वाले गोल्ड लोन प्रदाताओं के लिए औसत ऋण का आकार 50,000 रुपये से 80,000 रुपये के बीच है, जिसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा, परामर्श जारी किए जाने से नकद में दिया जाता रहा है।

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