नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में शहद उत्पादन में करीब 60 प्रतिशत की वृद्धि होने और भारत के दुनिया के शीर्ष शहद निर्यातक देशों में शामिल होने का हवाला देते हुये रविवार को कहा कि शहद सिर्फ मिठास नहीं, बल्कि सेहत, स्वरोजगार, और आत्मनिर्भरता की मिसाल भी है।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 122वीं कड़ी में 20 मई को ‘वर्ल्ड बी डे’ मनाये जाने का उल्लेख करते हुये कहा,“ पिछले 11 वर्षों में, मधुमक्खी पालन में भारत में एक मधुर क्रांति हुई है। आज से 10-11 साल पहले भारत में शहद उत्पादन एक साल में करीब 70-75 हज़ार टन होता था। आज यह बढ़कर करीब-करीब सवा-लाख टन के आसपास हो गया है। यानी शहद उत्पादन में करीब 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।”
उन्होंने कहा कि भारत शहद उत्पादन और निर्यात में दुनिया के अग्रणी देशों में आ चुका है। इस सकारात्मक प्रभाव में ‘राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन’ और ‘शहद मिशन’ की बड़ी भूमिका है। इसके तहत मधुमक्खी पालन से जुड़े हजारों किसानों को प्रशिक्षण दिया गया,उपकरण दिए गए, और बाजार तक उनकी सीधी पहुँच बनाई गई।
प्रधानमंत्री ने कहा,“ ये बदलाव सिर्फ आंकड़ों में नहीं दिखता। ये गाँव की जमीन पर भी साफ नजर आता है। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के आदिवासी किसानों ने ‘सोन हनी’ नाम से एक शुद्ध जैविक शहद ब्रांड बनाया है। आज वह ‘शहद जेम’ पोर्टल समेत अनेक ऑनलाइन पोर्टल पर बिक रहा है, यानी गाँव की मेहनत, अब ग्लोबल हो रही है। इसी तरह उत्तर प्रदेश, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और अरुणाचल प्रदेश में हजारों महिलाएं और युवा अब शहद उद्यमी बन चुके हैं।”
उन्होंने कहा,“ अब शहद की केवल मात्रा नहीं, उसकी शुद्धता पर भी काम हो रहा है। कुछ स्टार्टअप अब एआई और डिजिटल प्रौद्योगिकी से शहद की गुणवत्ता को प्रमाणित कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि अगली बार जब भी शहद खरीदें तो इन शहद उद्यमियों द्वारा बनाए गए शहद को जरूर आजमाएं। कोशिश करें कि किसी स्थानीय किसान से, किसी महिला उद्यमी से भी शहद खरीदें। क्योंकि उस हर बूंद में स्वाद ही नहीं, भारत की मेहनत और उम्मीदें घुली होती हैं। शहद की ये मिठास आत्मनिर्भर भारत का स्वाद है।”