महानायक ठाकुर दरियाव सिंह का मनाया 169 वां विजय दिवस
महानायक ठाकुर दरियाव सिंह का मनाया 169 वां विजय दिवस
महानायक ठाकुर दरियाव सिंह का मनाया 169 वां विजय दिवस
– स्मारक स्थल पहुंचकर कैबिनेट मंत्री समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने अर्पित किए पुष्प
फोटो परिचय- ठा0 दरियाव सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते कैबिनेट मंत्री राकेश सचान व अन्य जनप्रतिनिधि।
मो. ज़र्रेयाब खान अज़रा न्यूज़ खागा, फतेहपुर। विगत वर्षों की भांति 1857 की क्रांति के महानायक ठाकुर दरियाव सिंह का 169 वां विजय दिवस समारोह स्मारक स्थल में मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अश्विनी कुमार शुक्ल ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि में कैबिनेट मंत्री राकेश सचान, विशिष्ट अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष विजय सिंह गौर, खागा विधायक कृष्णा पासवान, नगर पंचायत अध्यक्ष गीता सिंह रहीं।
समिति के मंत्री राम प्रताप सिंह ने समिति की प्रगति आख्या और ठाकुर दरियाव सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। खागा के अधिकार के बाद ठाकुर दरियाव सिंह व उनके पुत्र सुजान सिंह ने ठाकुर शिवदयाल सिंह जमरावा, ठाकुर जोधा सिंह अटैया रसूलपुर व तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर हिकमत उल्ला खा के सहयोग से 9 जून को फतेहपुर को चारों ओर से घेर लिया। अंग्रेज कलेक्टर मिस्टर जे. डब्ल्यू. शेरर और अन्य अधिकारी रात को ही यमुना पार कर बांदा की ओर भाग गए। अंग्रेज जज मिस्टर टक्कर बाबा गयादीन दुबे कोराई से सहायता मांगने गया किंतु उसे कोई सहायता ना मिली उसी रात मिस्टर ठक्कर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इसी आधार पर बाद में देशभक्त बाबा गयादीन दुबे की गिरफ्तारी हुई थी। 10 जून 1857 ई को ठाकुर सुजान सिंह ने अपने सैनिकों और साथियों के साथ जिला जेल पहुंचकर बंदियों को मुक्त कराया तथा कचहरी और राजकोष पर अधिकार कर लिया।इस प्रकार संपूर्ण फतेहपुर अंग्रेजों से मुक्त हुआ तथा तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर हिकमत उल्ला खा को आजाद फतेहपुर का कलेक्टर बनाया गया। संपूर्ण फतेहपुर 32 दिनों तक ठाकुर दरियाव सिंह के शासन में रहा। 12 जुलाई 1857 को अंग्रेजों ने पुनः फतेहपुर में अधिकार कर लिया और कलेक्टर हिकमत उल्ला खा का सर कलम कर फतेहपुर कोतवाली में लटका दिया। 5 जनवरी 1858 को ठाकुर दरियाव सिंह अपने पुत्र सुजान सिंह के साथ किसी कार्य हेतु खागा आए हुए थे किसी मुखबिर की सूचना पर भोजन करते समय उनको गिरफ्तार कर लिया गया जिसमें ठाकुर दरियाव सिंह, पुत्र सुजान सिंह, भाई निर्मल सिंह, भतीजे बख्तावर सिंह, रघुनाथ सिंह, तुरंग सिंह पर नौ आरोप लगाए गए। एक माह तक न्याय का झूठा स्वांग रच कर 6 मार्च 1858 को जिला जेल में फांसी दे दी गई। भारत माता के अमर वीर सपूत देश के लिए बलिदान हो गए। कार्य क्षेत्र व समाज में उत्कृष्ट योगदान के लिए देशराज सिंह शिक्षक, उदय पाल सिंह प्रधानाचार्य, रामसनेही गुप्त शिक्षक, बृजमोहन पाण्डेय शिक्षक, प्रेम सिंह शिक्षक, प्रकाश चंद दुबे शिक्षक, विष्णु दयाल गुप्त शिक्षक, डॉ परमहंस सिंह भारतीय सेना, बृजेंद्र स्वरूप सिंह कोऑपरेटिव मैनेजर, मूलचंद सिंह प्रधानाचार्य, शूलपाणि सिंह अपर संख्याअधिकारी फतेहपुर, चंद्रबली सिंह शिक्षक, रामसागर सिंह फौजी, राजेंद्र सिंह सेंगर रेलवे इंजीनियर, मोहम्मद असलम खान इंजीनियर को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। समिति के अध्यक्ष डॉ राजकुमार सिंह, उपाध्यक्ष महेंद्र नाथ त्रिपाठी, राम गोपाल सिंह, अशोक सिंह, गुलाब सिंह, ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, फूलचंद सिंह, हरिश्चंद्र सिंह, रमेश सिंह, इंद्रजीत सिंह, चंद्रशेखर सिंह, महेंद्र केशरवानी, मंगल सिंह, कृष्ण स्वरूप सिंह, धर्मेंद्र सिंह, रामकृष्ण हेगड़े, रामचंद्र, नफ़ीस अहमद, संतोष सिंह, फूलचंद पाल, राम सजीवन सिंह आदि रहे