बीडीओ व बाल विकास परियोजना अधिकारी ने प्रस्तावित स्थल का किया भूमि चिन्हांकन

  बाल संवेदी खेल मैदान के लिए चुना गया तीसरा आंगनबाड़ी केंद्र
बीडीओ व बाल विकास परियोजना अधिकारी ने प्रस्तावित स्थल का किया भूमि चिन्हांकन
फोटो परिचय-  भूमि का चिन्हांकन करते बीडीओ व अन्य।
अजय सिंह अज़रा न्यूज़ फतेहपुर – जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी के निर्देशन में रविवार को खंड विकास अधिकारी ब्लॉक तेलियानी राहुल मिश्रा एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी कन्हैया लाल के संयुक्त नेतृत्व में ग्राम बकंधा स्थित शासकीय कम्पोजिट विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्र में जीवन के प्रथम 1000 दिवस परियोजना के अंतर्गत जनपद के तीसरे जलवायु-संवेदनशील, बाल संवेदी खेल मैदान के निर्माण हेतु प्रस्तावित स्थल का भौतिक निरीक्षण एवं भूमि चिन्हांकन कार्य किया गया।
संयुक्त भ्रमण में कनिष्ठ अभियंता, ग्रामीण अभियांत्रिकी विभाग अखिलेश यादव, प्रधानाध्यापिका कम्पोजिट विद्यालय शैलजा गुप्ता, वरिष्ठ सलाहकार एवं कार्यक्रम अधिकारी अनुभव गर्ग, ग्राम प्रधान बकन्धा शिवकांती के प्रतिनिधि, आंगनबाड़ी कार्यकत्री पूर्णिमा, सहायिका लाड़ली बेगम व अन्य शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं। जीवन के पहले 1000 दिवस एक दूरदर्शी परियोजना के अंतर्गत जलवायु-संवेदनशील, उत्तरदायी, संवेदी बाहरी खेल मैदान एक विश्वस्तरीय नवाचार है, जो ग्रामीण भारत में बच्चों को केवल आनंद और गतिविधि ही नहीं, बल्कि स्थिरता और विज्ञान से जुड़े महत्वपूर्ण प्रारंभिक शिक्षण अवसर भी प्रदान करेगा। फतेहपुर में शुरू की गई यह पहल इसे एक परिवर्तनकारी मॉडल के रूप में तैयार कर रही है। यह स्थान न केवल मोटर कौशल को बढ़ावा ही नहीं बल्कि भावनात्मक जुड़ाव, भाषा विकास और बौद्धिक जिज्ञासा को भी पोषित करेगा। बढ़ते तापमान और बदलते वर्षा पैटर्न के कारण बच्चों के स्वास्थ्य और बाहरी गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए इस स्थान में छायादार वृक्षों की छतरी, वर्षा जल संचयन गड्ढे और जलसंचलन योग्य मिट्टी के रास्ते जैसी जलवायु-स्मार्ट विशेषताओं को शामिल किया गया है, जिससे यह पूरे वर्ष उपयोग योग्य बनाएगा। डिज़ाइन से लेकर रख-रखाव तक की प्रक्रिया में माताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, पंचायती राज सदस्यों और युवाओं को सक्रिय रूप से शामिल किया जायेगा, जिससे स्थानीय स्वामित्व और टिकाऊपन सुनिश्चित हो। यह जमीनी दृष्टिकोण न केवल गांव को सशक्त बनाता है, बल्कि बच्चों की देखभाल, पोषण और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के प्रति व्यवहार में बदलाव को भी प्रोत्साहित करेगा।

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