उसको ढूंढो मगर सलीके से, वो खुदा है कहां नहीं मिलता
– शहीद बाबा की मजार पर हुआ कव्वाली का कार्यक्रम
फोटो परिचय- उर्स के दौरान कव्वाली का प्रोग्राम पेश करते कलाकार।
मो ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ खागा, फतेहपुर। पट्टीशाह स्थित हजरत फतेह शहीद बाबा का 85 वां उर्स मुबारक के मौके पर कव्वाली का कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में दर्शकों की मौजूदगी रही। बदायूं के नईम साबरी और दिल्ली की मुस्कान डिस्को के बीच मुकाबला हुआ। इसके पहले लंगर में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। मजार को दुल्हन की तरह सजाया गया था। कमेटी के सदर असहाब सफी उर्फ रानू, नायब सदर दिलशाद अंसारी जबकि सरपरस्त कवि एवं शायर डॉ. वारिस अंसारी रहे।
गौसिया नौजवाना ने कमेटी की ओर से बताया गया कि एक दिन अप्रैल को सुबह सात बजे कुरआन ख्वानी, गागर एवं चादर गश्त शाम चार बजे तथा ईशा की नमाज के बाद मिलादुन्नबी का कार्यक्रम हुआ। दूसरे दिन सात बजे लंगर के बाद रात में इशा की नमाज के बाद कव्वाली का शानदार मुकाबला हुआ। कमेटी के मो. इमरान, मो. सिराज, मो. शरीफ, मो. वाजिद, मो. वसीम, नूर आलम, गुलाम ख्वाजा, महफूज-उल-हसन, मोहसिन, मो.आरिफ, मंसूर हसन, मो. दिलशाद, मो. आदिल, मोहम्मद हमजा, मो. कलीम, मो. फ़रकान, मो. अहमद, जिया उद्दीन, मो. शफीक सोनी, मो. माईद, मो.शकील, मो. शोएब, मो. अनस, मो. सैफ, मो. कलाम, मो. साजिद, मो. मुईद नोडी आदि इंतजामकार रहे। कव्वाली का आगाज मशहूर कव्वाल बदायूं से आए नईम साबरी ने नाते रसूल से की। फिर ख्वाजा गरीब नवाज की शान में शानदार कलाम सुनाया। सारे सदियों में जो आरी है वो लम्हा मिलता, काश सरकारे दो-आलम का जमाना मिलता, आपको देखता मक्के से मैं हिजरत करके, आपका नक्शे कदम आपका सजदा मिलता। होठों पे अपने जिक्र-ए-दरूद-ओ-सलाम लो, अपनी जुबां पे मोहम्मद का नाम लो, नबी का दामन थाम लो। जिंदगी का निशां नहीं मिलता, वो जहां है वहां नहीं मिलता, उसको ढूंढो मगर सलीके से, वो खुदा है कहां नहीं मिलता। कव्वाला मुस्कान डिस्को में खूबसूरत अंदाज में कलाम पेश किया। खुदा के नूर से अपने मोहम्मद को बनाया है, नबी ने दुनिया में इस्लाम डंका का बजाया है, मेरी हस्ती मिटाने के लिए दुनिया ने चाहा है, मेरे सर पर रसूल अल्लाह की कमली का साया है।
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