जिले के पचास व प्रदेश के लगभग डेढ़ सौ कर्मियों को नहीं दी जा रही पेंशन
जिले के पचास व प्रदेश के लगभग डेढ़ सौ कर्मियों को नहीं दी जा रही पेंशन
यूपीएसआरटीसी के रिटायर्ड कर्मियों की दिलाई जाएगी रूकी पेंशन: समीउज्जमा
– जिले के पचास व प्रदेश के लगभग डेढ़ सौ कर्मियों को नहीं दी जा रही पेंशन
– हाईकोर्ट के आदेश पर दिवंगत निसार अहमद की बेवा को मिलेगी रूकी पेंशन
फोटो परिचय- पत्रकारों से बातचीत करते उच्च न्यायालय के अधिवक्ता मो0 समीउज्जमा खान। मो ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ फतेहपुर। परिवतन निगम की यूपीएसआरटीसी के सेवानिवृत्त कई कर्मचारियों को पेंशन नहीं दी जा रही है। ऐसे सभी कर्मचारी हाईकोर्ट में रिट दायर करके कानूनी लड़ाई लड़ सकते हैं। उनकी हरसंभव सहायता की जाएगी। जिले के लगभग पचास व प्रदेश के लगभग डेढ़ सौ कर्मचारी ऐसे हैं जिनको पेंशन का लाभ नही मिल रहा है। जिले के ही दिवंगत कर्मचारी निसार अहमद की बेवा को हाईकोर्ट के आदेश में पेंशन मिलने का रास्ता लगभग साफ हो गया है।
यह बात रविवार को बाकरगंज स्थित एक आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उच्च न्यायालय के अधिवक्ता मो0 समीउज्जमा खान ने कही। उन्होने बताया कि यूपीएसआरटीसी में कार्यरत कर्मचारी निसार अहमद वर्ष 1993 में सेवानिवृत्त हो गए थे, लेकिन विभाग ने उनकी पेंशन स्वीकृत नहीं की। पेंशन की लड़ाई लड़ते-लड़ते वह इस दुनिया को अलविदा कह गए। उन्होने बताया कि निसार अहमद वर्ष 1954 से कार्यरत थे जो वर्ष 1960 से पहले परमानेंट हो गए थे। उनकी पत्नी जईतुन बीबी पेंशन के लिए बेहद परेशान थीं। उनकी माली हालत भी ठीक नहीं थी। जब उन्हें इसकी जानकारी हुई तो उन्होने हाईकोर्ट में अपने खर्च से याचिका दायर कर प्रभावशाली पैरवी की। कोर्ट के पूर्व के आदेशों को प्रस्तुत कर यह सिद्ध किया कि याचिकाकर्ता के पति की सेवाएं नियमित थीं, और पेंशन अस्वीकृति स्पष्ट रूप से नियमों के विरुद्ध है। कोर्ट ने यूपीएसआरटीसी के रवैये को जान बूझकर अवज्ञा और नियोक्ता के दायित्वों के प्रति उदासीनता करार दिया। अधिवक्ता श्री खान ने दस्तावेजों व कानूनी तथ्यों के आधार पर कोर्ट को इस बात के लिए विवश किया कि यूपीएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देने का आदेश दिया। प्रबंधक निदेशक ने कोर्ट में पेश होकर पेंशन स्वीकृत करने का लेटर पेश किया। कोर्ट ने कहा कि लेटर देने से काम नहीं होगा अगली तारीख में यूपीएसआरटीसी के सचिव को कोर्ट में पेश होना होगा और साठ दिनों के अंदर पूरी पेंशन की रकम भी बताकर पेंशन देनी होगी। उन्होने कहा कि यह पहला मामला नहीं है। इस तरह के जिले में लगभग पचास व प्रदेश में लगभग डेढ़ सौ मामले हैं। उन्होने कहा कि कोई भी कर्मचारी पेंशन की इस लड़ाई में उनकी सहायता ले सकता है। उसकी हरसंभव मदद की जाएगी। इस मौके पर वारिस उद्दीन, इश्तियाक हुसैन, अब्दुल कदीर खां, एनके त्रिपाठी, अबरार अहमद भी मौजूद रहे।