नयी दिल्ली: पाकिस्तान के साथ भविष्य की रूपरेखा तय करते हुए भारत के विदेश मंत्री एस Jaishankar ने कहा कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी, जब तक सीमा पार आतंकवाद नहीं रुक जाता। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद को वांछित आतंकवादियों को सौंपना चाहिए और जम्मू-कश्मीर में अवैध रूप से कब्जाए गए क्षेत्र को खाली करना चाहिए।
Jaisalmer में गुरुवार रात सायरनों एवं धमाकों की आवाज
Jaishankar होंडुरास के दूतावास के उद्घाटन पर मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में उन्होंने यह बात कही। सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा का पत्र एक सप्ताह पहले प्राप्त हुआ था। इसमें सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों के जल बंटवारे की मात्रा पर पिछले तीन वर्षों में भारत द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वार्ता की मांग की गई है।
Jaishankar अब आतंकवाद और पीओके पर ही चर्चा होगी
Jaishankar ने कहा कि सिंधु जल संधि पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से रोकने तक स्थगित रहेगी। पिछले साल सितंबर में भारत ने कहा था कि जब तक दोनों सरकारों के स्तर पर सिंधु जल संधि पर फिर से बातचीत नहीं हो जाती, तब तक स्थायी सिंधु आयोग (पीआईसी) की कोई और बैठक नहीं होगी। आखिरी बैठक मई 2022 में दिल्ली में हुई थी।
जनवरी 2023 से भारत ने पाकिस्तान को चार बार पत्र लिखा, लेकिन उसे कोई ‘प्रतिक्रिया’ नहीं मिली। वर्ष 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के अनुसार भारत सतलुज, ब्यास और रावी के पानी का 100 प्रतिशत उपयोग करता है। भारत इनके लगभग 96 प्रतिशत पानी का उपयोग कर रहा है। सिंधु, झेलम और चिनाब का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पाकिस्तान के उपयोग के लिए है। भारत अब पीने के पानी और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सिंचाई के लिए पानी का उपयोग कर सकता है।
Jaishankar ने स्पष्ट रूप से कहा कि दोनों देशों के बीच बातचीत केवल आतंकी ढांचे को खत्म करने और पीओके को खाली करने के बारे में हो सकती है। पाकिस्तान के साथ भारत का संबंध और व्यवहार पूरी तरह से द्विपक्षीय रहेगा। इसमें कतई कोई बदलाव नहीं होगा।