रविवार से खरमास की हो गई शुरुआत, मकर संक्रांति तक मांगलिक कार्यों पर विराम

  मकर संक्रांति तक मांगलिक कार्यों पर विराम
– रविवार से खरमास की हो गई शुरुआत
– मान्यता है कि खरमास में कोई शुभ कार्य नहीं
मो. ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ फतेहपुर। अब मकर संक्रांति के बाद शहनाई गूंजेगी और शुभ कार्याेँ की शुरुआत होगी। खरमास में गरीबों को अन्नदान, भोजनदान, वस्त्रदान आदि करते हुये भागवत गीता, श्रीराम पूजा, कथा वाचन, विष्णु और शिव पूजन शुभ माने जाते हैं।
धनु की संक्रांति को खरमास कहते हैं। इसमें शादी विवाह, यज्ञोपवीत, मुंडन आदि कोई शुभ कार्य नहीं होते हैं। माना जाता है कि यह समय दान-पुण्य के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। इस समय किये गये दान पुण्य का अधिक फल प्राप्त होता है। आचार्य पं भृगुनंदन शुक्ला ने बताया कि एक माह तक चलने वाला यह महीना मकर संक्रांति तक चलेगा। इसके बाद शुभ कार्य होने शुरू हो जायेंगे। आचार्यों का मत है कि खरमास में जमीन, मकान और वाहन की खरीदारी में कोई मनाही नहीं होती है। दरअसल खरमास में सूर्य की गति धीमी हो जाती है। जिस कारण किसी भी शुभ कार्य में सफलता मिलने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार सूर्य जब देवगुरु ब्रहस्पति की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो ऐसे में सूर्य का प्रभाव कम हो जाता है। इसके साथ ही सूर्य की वजह से गुरु ग्रह का बल भी कमजोर हो जाता है। इस कारण दो प्रमुख ग्रहों की ऊर्जा में कमी आने के कारण कार्यों में स्थायित्व की कमी आ जाती है। शुभ और मांगलिक कार्यों में सूर्य और गुरु का बली होना जरूरी होता है। इसी वजह से खरमास के दौरान मांगलिक कार्य फलित नहीं होते हैं। आचार्य बताते हैं कि हिंदू पंचांग के मुताबिक एक वर्ष में दो बार खरमास आता है। इन दोनों का विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार साल का पहला खरमास मार्च-अप्रैल में जबकि दूसरा खरमास दिसंबर के महीने में आता है। उन्होंने बताया कि रविवार को सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी 2025 को प्रवेश करेंगे। इसी के साथ खरमास खत्म हो जाएगा।


इनसेट-
यह है मान्यता
मांगलिक कार्य नहीं करने की मान्यता का यह है आधार कि सूर्यदेव पृथ्वी पर जीवन के दाता माने जाते हैं। सूर्य के ताप के बिना जीवन संभव नहीं है। इस कारण खरमास में जब सूर्य का तेज कम होता है, तो कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, शिशु संस्कार आदि नहीं किए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी सूर्य को ग्रहों का राजा और पिता का प्रतीक माना जाता है। खरमास में सूर्य की शक्ति कम हो जाती है। यह परिवार के मुखिया के कमजोर होने जैसा होता है। ऐसे में मान्यता है कि पिता के तेज की अनुपस्थिति में मंगल कार्य नहीं कराए जा सकते।

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