महाकुंभ के दौरान पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त थी

नयी दिल्ली/प्रयागराज : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सौंपी अपनी नयी रिपोर्ट में कहा है कि सांख्यिकीय विश्लेषण के अनुसार प्रयागराज में हाल ही में संपन्न महाकुंभ के दौरान पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त थी। इसमें कहा गया है कि सांख्यिकीय विश्लेषण इसलिए आवश्यक था, क्योंकि एक ही स्थान से अलग-अलग तिथियों और एक ही दिन में अलग-अलग स्थानों से एकत्र किए गए नमूनों में ‘आंकड़ों की भिन्नता’ थी, जिसके कारण ये नदी क्षेत्र में समग्र नदी जल की गुणवत्ता को प्रतिबिंबित नहीं करते थे।

बोर्ड की 28 फरवरी की तारीख वाली इस रिपोर्ट को सात मार्च को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। बोर्ड ने 12 जनवरी से लेकर अब तक प्रति सप्ताह दो बार, जिसमें स्नान के शुभ दिन भी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘विभिन्न तिथियों पर एक ही स्थान से लिए गए नमूनों के लिए विभिन्न मापदंडों जैसे पीएच, घुलित ऑक्सीजन (डीओ), जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) और फीकल कोलीफॉर्म काउंट (एफसी) के परिमाण में अहम बदलाव देखे गए हैं।’

संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं का आना जारी
महाकुंभ मेला भले ही समाप्त हो गया हो और साधु संन्यासी प्रस्थान कर गए हों, लेकिन शाम को दूधिया रोशनी में नहाए संगम क्षेत्र का मनमोहक दृश्य अब भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कई ऐसे लोग हैं जो भीड़ के कारण महाकुंभ में संगम स्नान के लिए नहीं आ सके थे, वो अब आ रहे हैं। दिल्ली की डॉक्टर दीक्षा इनमें से एक हैं। दीक्षा ने बताया कि महाकुंभ में भीड़ के बारे में सुनकर हम आने की हिम्मत नहीं जुटा सके। अब यहां आए हैं और संगम में डुबकी लगाई है।

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