विवेचकों पर फटकार के साथ बदलाव भी आवश्यक ?
👉 लंबित पड़ी विवेचनाओं को पुलिस अधीक्षक ने संज्ञान में लेकर दिए थे निर्देश।
👉 अधिकतर मुख्यमंत्री पोर्टल पर भेजी गई शिकायत विवेचकों की सेटिंग पर आधारित होती है जांच रिपोर्ट
👉 अधिक समय से मुकदमों में लगाई जाने वाली चार्ज शीट भी लंबित पड़ी
👉 बदलाव की स्थिति पर यदि नज़र डालें तो सिपाही से प्रमोट हुए अधिकतर अनफिट दरोगाओ के हाँथ में होती है विवेचनाएं
👉 सीधा भर्ती से आये इंस्पेक्टर, दरोगा पुलिस लाइन में या ज़िले के किनारे किसी चौकी की ख़ाक छान रहे।
👉 जिसपर ध्यान दिया जाना अतिआवश्यक है
एम ज़र्रेयाब खान अज़रा न्यूज़ फ़तेहपुर
फ़तेहपुर – विगत दिनों पुलिस अधीक्षक द्वारा लंबित पड़ी विवेचनाओं को संज्ञान में लेते हुए विवेचकों पर फटकार लगाए जाने के बाद लंबित मामलों को खत्म किये जाने के निर्देश दिए जाने की बात सामने आई,, लेकिन हालात जस के तस ? यदि नज़र डाली जाए तो आवश्यकता के साथ विवेचकों को दृष्टिगत बदलाव भी ज़रूरी है।
आज यदि हम विगत तीन माह में के अंतराल में दिए गए मात्र तीन प्रार्थना पत्र जैसे आईजीआरएस, जांच में लिया जाने वाला महिला का बयान या मुकदमे में भेजी जाने वाली चार्जशीट पर बात करें तो,,,,
पहला ( 1 ) प्रकरण थाना हुसैनगंज के अंतर्गत ग्राम मकनपुर का है जहां किसान राशिद नियाज़ द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल को भेजे गए प्रार्थना पत्र में अपनी अचक बाग को लेखपाल और कुछ दबंगों द्वारा साज़िश कर स्वयं अवैध नापकर हड़पने की शिकायत पर विवेचक ने आईजीआरएस संदर्भ संख्या 40017224026843 दिनांक 21-10- 24 को जांच कर उल्टा पीडित किसान परिवार पर मुकदमा दर्ज कर दिया था जिसपर किसान राशिद नियाज़ को 6 लोगों की ज़मानत करानी पड़ी थी। जबकि आरोपी भूमि का एग्रीमेंट लेकर पंहुचे थे मौके पर।
दूसरा प्रकरण थाना मलवां का है जहां मुकदमा अपराध संख्या 363,366,354 आईपीसी व 7/8 पास्को एक्ट वादी मुकदमा है। जहाँ पीड़ित पिता को 14/2 – 25 को पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र देकर नयाय मांगना पड़ा कि विवेचक द्वारा महिला का 161के तहत बयान लेकर नाबालिग होने की दशा में “बाल कल्याण समिति” को न भेज कर आरोपी के हाँथ सौंप दिया था। जिसकी मीडिया द्वारा खबरें छापी गई जोकि चर्चा का विषय बना रहा।
ऐसे कई मुकदमे लंबित है जिनकी तीन साल य्या उससे अधिक समय से चार्जशीट तक नहीं भेजी जा सकी।
लेख अधिक हो जाने की दशा में पाठकों का ऊब जाना स्वाभाविक है इसलिए मुद्दे पर आते है।
किसी भी आपराधिक मुकदमे के खुलासे पर यदि नज़र डाली जाए तो सीधा भर्ती हुए युवा इंस्पेक्टर, युवा दरोगाओं का सराहनीय दायित्व देखा जा सकता है
बात की जाए विगत दिनों थाना हुसैनगंज के अंतर्गत घटी आपराधिक घटना व्यापारी पुत्र अपहरण कांड की तो पुलिस अधीक्षक द्वारा गठित की गई टीमों ने ढाई घंटे के अंदर किये गए खुलासे की जिले में आम जनमानस व व्यपारियो के बीच खासी चर्चा का विषय रहा और पुलिस अधीक्षक के साथ पुलिस टीम को पुरस्कृत भी किया गया। प्रकरण में गौर किया जाये तो मुखता एसओजी प्रभारी “विनोद कुमार” के साथ युवा भिठौरा चौकी इंचार्ज “ब्रजेश कुमार” का घटना स्थल पर जाकर एक एक तथ्यों पर बारीकी से जांच कर अपराधियों तक पंहुचा जा सकना उनकी अपनी योग्यता व शारिरिक दक्षता का मुख्य कारण माना जा सकता है। ये खुलासा जनता के बीच चर्चा बनकर शोर मचाती नज़र आई
इसी कड़ी पर यदि नज़र डालें तो शारिरिक दक्षता व शार्प योग्यता में 100 ℅ फिट इन्स्पेक्टर शमशेर बहादुर सर्विलांस प्रभारी बने पुलिस लाइन में दिन गुजारते नज़र आ जाते हैं।
ये तो वही बात हो गई उड़ान भले ही उक़ाबि हो लेकिन बंधे हुए पंख सिर्फ नज़ारा देखने के काम आते है।
यदि बदलाव पर बात की जाए तो शारिरिक योग्यता व फुल स्टैमिना लिए सीधा भर्ती से आये ऐसे योग्य पुलिस अधिकारियों को थानों में तैनाती देकर उन्हें अपराध और अपराधियों की पकड़ के लिए पंखों को पूरी तरह खोल दिये जायें। फिर संभवतः लंबित पड़ी जांचो में तेज़ी आये और योगी सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस की नीति को बढ़ावा दिया जा सके और जिले की जनता पुलिस की सराहना करती नज़र आये-
एम ज़र्रेयाब खान
संपादक – अज़रा न्यूज़
उपाध्यक्ष – प्रेस वेलफेयर एसोसिएशन ऑफ इंडिया