श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री Omar Abdullah ने बुधवार को कहा कि हाल ही में सीमा पार से की गई गोलाबारी में अधिकतम नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार से जानबूझकर प्रयास किया गया। सीमा पार से गत सात मई से गोलीबारी शुरू हुई।
माफी मांगने के लिए अल्फाज नहीं : Omar Abdullah
गोलाबारी के चार दिनों में जम्मू-कश्मीर में पांच बच्चों सहित 21 नागरिकों की जान चली गई। पुंछ जिले में 15 लोग मारे गए, जहां पाकिस्तानी सेना की ओर से भारी गोलाबारी की गई थी।
बुधवार को बारामूला जिले के उरी में गोलाबारी प्रभावित इलाकों का दौरा करने पर श्री अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान ने नागरिक इलाकों में अंधाधुंध गोलीबारी की थी।
श्री अब्दुल्ला ने उरी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “दो से तीन दिनों के दौरान, उन्होंने (पाकिस्तान ने) नागरिक इलाकों में अंधाधुंध गोलीबारी की और ऐसा लगा कि वे जानबूझकर अधिकतम नागरिकों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे।”
उन्होंने संघर्ष विराम पर राहत व्यक्त करते हुए कहा, “शुक्र है कि दूसरी तरफ से डीजीएमओ ने फोन उठाया और बात की, जिसके परिणामस्वरूप संघर्ष विराम हो सका। अभी तक सीमा और नियंत्रण रेखा पर शांति बनी हुई है।”
श्री अब्दुल्ला ने संकट के प्रति प्रशासन की प्रतिक्रिया पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि क्षति का आकलन और राहत कार्य पहले ही शुरू हो चुका है और आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा] “इसमें समय लगेगा, लेकिन हम सुनिश्चित करेंगे कि प्रभावित लोगों का पुनर्वास हो।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि निवासियों के बीच बढ़ते डर के देखते हुए व्यक्तिगत तौर पर बंकरों की फिर से उठी मांग उठी है। उन्होंने कहा, “लोगों ने हाल के वर्षों में बंकरों के बारे में सोचना बंद कर दिया था, लेकिन पिछले कुछ दिनों ने सभी को याद दिलाया है कि सीमा पर स्थिति कितनी खराब हो सकती है। चाहे वह जम्मू हो या कश्मीर की तरफ, मैं जहां भी गया, लोगों ने सामुदायिक बंकरों की बजाय व्यक्तिगत बंकरों की मांग की। सबसे पहले हम तुरंत राहत प्रदान करेंगे। फिर हम केंद्र सरकार से बात करेंगे और गोलाबारी से प्रभावित सभी क्षेत्रों के लिए बंकरों की व्यवस्था करेंगे।”
श्री अब्दुल्ला ने कहा, “भारत ने इस लड़ाई की शुरुआत नहीं की। पहलगाम में हमारे निर्दोष लोगों पर हमला किया गया। हमले में 26 लोगों की जान चली गई। मैंने पहले दिन से ही यह कहा है। अगर वहां से बंदूकों की आवाज शांत हो जाती हैं, तो यहां से भी गोलियों की आवाज अपने आप शांत हो जाएंगी।”