विपक्ष ने रेलवे में सुरक्षा, सुविधा के बजाय महंगी ट्रेने चलाने को प्राथमिकता देने का लगाया आरोप

नयी दिल्ली: विपक्ष ने सोमवार को राज्य सभा में सरकार पर रेलवे में यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा पर ध्यान देने के बजाया वंदेभारत जैसी चमकीली रेलगाड़ियों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया।

रेल अधिनियम 1989 में संशोधन के लिए रेल (संशोधन) विधेयक 2024 पर चर्चा कर इसको पारित करने के रेल मंत्री अश्चिनी वैषण की ओर से पेश प्रस्ताव पर चर्चा में विपक्षी सदस्यों ने यह भी कहा कि सरकार ने रेलवे बोर्ड की स्वायत्ता समाप्त कर दी है और अलग रेलवे बजट की परंपरा को बंद कर रेलवे के कामकाज की पारदर्शिता को खत्म कर दिया गया है। कोविड-19 महामारी के दौरान बुजुर्गों और पत्रकारों के लिए खत्म की गयी सब्सिडी को बहाल नहीं किया गया है तथा रेलवे के किराए मनमाने तरीके से बढ़ा जाने लगे हैं।

इस विधेयक को लोक सभा की मंजूरी मिल चुकी है।

विधेयक पर रेल मंत्री श्री वैष्णव के प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस पार्टी के सदस्य विवेक तन्खा ने कहा कि यह विधेयक रेलवे में सुधार का एक बड़ा अवसर हो सकता था, जिसे सरकार ने खो दिया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को उद्धरित करते हुए कहा, “रेलवे केवल रेलवे का इंजन और पटरियां नहीं हमारे देश को जाेड़ने का माध्यम है।”

उन्होंने कहा , ‘रेलवे में आज हम सुविघाओं के मनदंड पर खरे नहीं उतर रहे हैं। एयरलाइनों की तरह रेलवे यत्रियों के अधिकार को नोटीफाई किया जाना चाहि जो अब तक शायद इस लिए नहीं हुआ है। रेलवे में गरीब भारत सफर करता है।”

श्री तन्खा ने शिकायत की कि कोविड के नाम पर पत्रकारों और बुजुर्गों की सुविधा अब तक बहाल नहीं की गयी है । उन्होंने महिलाओं के लिए हर ट्रेन में एक डिब्बा लगाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि , ‘ रेलवे में कास्मेटिक नहीं, अचछे सुधार की जरूरत है। भारत में तेज गति और अच्छी सुविधा वाली ट्रेने हों पर उनके किरास तर्कसंगत हों। ”

कांग्रेस सदस्य ने कहा कि रेलवे कोई व्यवसायिक संगठन नहीं संस्था है, एक आंदोलन है, गरीबों का वाहन , देश का जान देश की अर्थव्यवस्था की धमनी है।” उन्होंने कहा,, “आप ने केवल सतही बदलाव किया है, आप जनता के बारे में सोचिए । महिलाओं, बुजुर्गों और गरीबों के बारे में सोचिए।”

उन्होंने रेलवे बजट पेश किए जाने की परंपारा को समाप्त कर उसे आम बजट में मिलाने की आलोचना करते हुए कहा कि इससे पारदर्शिता खत्म हो गयी है। उन्होंने रेलवे में यत्री सुरक्षा की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि रेलवे में गाड़ियों की टक्कर रोकने के लिए रक्षा-कवच नाम के उपरकरण की घोषणा 2001 के बजट में की गयी थी। लेकिन इसका सभी मार्गों पर इसका अनुपालन नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि रेलवे में किराए बढ़ा दिए जाते हैं पर रेवले की व्यवस्था में सुधार नहीं दिखता ।

श्री तनखा ने कहा कि इस सरकार ने रेलवे के बजट और रेलवे बोर्ड के महत्व को खत्म कर दिया है। रेलवे पर संसद की निगरानी खत्म हो गयी है। रेलवे बोर्ड का सरकारीकरण कर दिया गया है और इसको आज रेल मंत्री नौकरशाही के रवैए से चला रहे हैं। उन्होंने कहा , “ आप विकसित भारत की सोच रखते हैं तो संस्थानों की स्वायत्तता जरूरी है।

कांग्रेस सदस्य ने रेलवे बोर्ड को स्वायत्तता प्रदान करने की मांग की।

श्री तन्खा ने कहा कि रेवले में “सुरक्षा एवं सुविधा” सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय होना चाहिए लेकिन लगाता है कि सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में हुए विभिन्न रेल हादसों का जिक्र किया जिनमें फरवरी में महाकुंभ के समय नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 18 मौत की घटना का उल्लेख भी था।

उन्होंने कहा, “ आज प्रौद्योगिकी के युग में ऐसी घटनाओं का दिखना यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम किस युग में हैं। दिल्ली की मौतों की जिम्मेदारी क्या कुछ अधिकारियों पर छोड़ा जा सकता है।” उन्होंने रेल मंत्री को रेल हादसों पर विगत में रेल मंत्रियों के इस्तीफे की पेशकश की याद भी दिलायी। श्री तन्खा ने आंकड़ों को हवाला देते हुए कहा कि चीन ने भारत को रेलवे को बहुत पीछे छोड़ दिया है।

उन्होंने रेलवे में किराए बढाए जाने की रफ्तार और तरीकों पर आपत्ति की कि यह निजी क्षेत्र की संस्था नहीं एक लोक सेवा संगठन है। उन्होंने कहा कि वंदे भारत की स्पीड सामान्य ट्रेनों से कोई अधिक नहीं है जबकि किराया ज्यादा है। नयी दिल्ली से रीवा (मध्य प्रदेश) के लिए ट्रेन शुरू हुई है लेकिन प्रयाग राज से रीवा पहुंचने में पांच घंटे लग जाते हैं जिससे लोगा प्रयागराज में ट्रेन छोड़ कर सड़क मार्ग से यात्रा करना अच्छा समझते हैं।

उन्होंने विभिन्न नीति आयोग और कुछ समितियों की सिफारिशों का उल्लेख करते हुए कहा कि रेलवे के परिचालन में सुधार के लिए रेलवे बोर्ड और रेलवे जोनों की स्वायत्तता महत्वपूर्ण है। तृणमूल कांग्रेस की सुश्री सुष्मिता देब ने कहा कि 2014 से 2023 के बीच 678 रेल दुर्धटनाएं हुईं जिनमें 781 लोगों की मौत हुई तथा 1500 लोग घायल हुए जिनमें कर्मचारी भी शामिल थे।

सुश्री देब ने कहा कि अब तक केवल दो प्रतिशत मार्ग पर ही टक्कर रोधी कवच प्रणाली लगाई जा सकी है लेकिन सरकार की प्राथमिकता चमकदार वंदेभारत गाड़ियां चलाने की है। उन्होंने कहा कि रेलवे में सुरक्षा से जुड़े 1.57 लाख रिक्तियों को नहीं भरा गया है और केवल 50 प्रतिशत ट्रैंक का ही सुरक्षा की दृष्टि से नियमित निरीक्षण हो पा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘आज रेलवे में हादसे, विलंब, लूट की खबरें आम हो गयी हैं। यह विधेयक संदेश देता है कि यह सरकारी लापरवाही और अकुशलता पर ध्यान नहीं देती और इसे आम लेगों को परवाह नहीं है ।’

सुश्री देव ने कहा कि माल गाड़ियों के क्षेत्र में निजीकरण की योजना को विफल बताते हुए कहा कि असली जरूरत रेलवे जोनों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की है। उन्होंने असम में रेलवे की सुविधाओं का विस्तार तथा बांग्लादेश के रास्ते पूर्वोत्तर में रेल सम्पर्क बढ़ाने की की जरूरत पर भी बल दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *