मिड डे मील में अनियमता को लेकर अभिभावकों में आक्रोश

 मिड डे मील में अनियमता को लेकर अभिभावकों में आक्रोश
– विद्यालय के भोजन में मिले कंकड़ पत्थर
– कंपोजित विद्यालय छीमी में विद्यार्थियों को दिया जाना वाला भोजन गुणवत्ताविहीन
फोटो परिचय-  मिड-डे-मील के गेहूं मंे कंकड़-पत्थर का दृश्य।


मो. ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ खागा, फतेहपुर। शासन की मंशा में शिक्षक खरे नहीं उतर रहे है। अभी भी बच्चो को मिलने वाला मिड डे मील में अनियमित बरती जा रही है। बच्चो को विकसित बनाने की जगह उनको मंद बनाया जा रहा है। जिसका ग्रामीण पूरी तरह से विरोध कर रहे है।
बिना शिक्षा के बिना विकास संभव नहीं है। भारत में आजादी के बाद से ही शिक्षा का स्तर दिनों दिन गिर रहा है। सरकारी पाठशालाओं के हालात तो किसी से छिपे नहीं। शिक्षा के दयनीय हालातों के चलते केंद्र व राज्य सरकार ने सन 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम पारित किया। इस अधिकार के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बालक व बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया।

उद्देश्य था कि बिना किसी भेदभाव के बालक बालिकाओं को समान रूप से शिक्षा की उपलब्ध हो और गुणवत्तापरक शिक्षा उन्हें मिल सके लेकिन छीमी गांव के कंपोजित स्कूल में सत्य यह नहीं है। शिक्षा की गुणवत्ता में कोई सुधार होता नहीं दिखाई दे रहा है। तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन वो ढाक के तीन पात वाली कहावत को चरितार्थ कर रहीं हैं। शिक्षा का स्तर निरंतर गिरता जा रहा है जो सबसे चिंताजनक विषय है। सरकारी विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से मिड-डे-मील उपलब्धता कराने की व्यवस्था की गई लेकिन वह भी प्राथमिक शिक्षालयों में कहीं बीमार पड़ते हैं तो कहीं पर उन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी निभाने वाले शिक्षक ही गायब होते हैं। बीईओ श्रवण पाल का फोन नही रिसीव नहीं हुआ।

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