कांग्रेस के टिकट बदलने से सियासी घमासान तेज, भाजपा को म‍िलेगा फायदा!

बागेश्वर। राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता है। वैसे भी बिरादरी, पैसा के अलावा साम, भेद व दंड के बिना शायद ही कोई नेता बना होगा। नगर निकाय चुनाव ने दिसंबर अंत में ठंड में भी गर्मी बढ़ा दी है। कांग्रेस के ऐन वक्त प्रत्याशी बदलने से विपक्षी खेमे के माथे पर भी सिकन आई होगी। 30 दिसंबर को नामांकन का अंतिम दिन है। उसके बाद मैदान ए जंग में कितने धुरंधर रहेंगे, यह स्पष्ट हो जाएगा। जबकि सियासी तूफान अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है।
साम यानी सुझाव देना या किसी कार्य को करने के लिए कहना, दाम यानी कार्य के बदले मूल्य चुकाने की पेशकश करना, दंड यानी सजा देकर कार्य करने के लिए मजबूर करना और भेद यानी संबंधित व्यक्ति के गुप्त रहस्यों का उपयोग कर या हितैषियों के साथ उसका बैर कराकर अपने कार्य के लिए मजबूर करना राजनीति का पैतरा है। रविवार अपराह्न बाद कुछ ऐसा हीं हुआ। कांग्रेस हाईकमान से हलचल हुई। पहले घोषित प्रत्याशी कवि जोशी ने पत्रकार वार्ता बुला ली। कहा कि वही कांग्रेस के प्रत्याशी है।

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