भक्त की सच्ची भक्ति भगवान को प्राकट्य हेतु कर देती विवश: श्रीकान्त
– श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ में उमड़ी भीड़
फोटो परिचय- श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ में प्रवचन करते प्रवक्ता श्रीकांत दयाशंकर अवस्थी।
मो ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ अमौली, फतेहपुर। विकास खंड के देवरी बुजुर्ग गांव के सुप्रसिद्ध आनंदी देवी माता मंदिर में श्री राधे गोपाल सेवा समिति के तत्वाधान में समस्त ग्राम वासियों के संरक्षकत्व में चल रहे श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस में श्रीधाम वृंदावन से चलकर आए प्रख्यात श्रीमद् भागवत कथा प्रवक्ता श्रीकांत दयाशंकर अवस्थी मधुर ने सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, अजामिल उपाख्यान तथा प्रहलाद चरित्र की पावन कथा का वर्णन किया।
विकास खंड अमौली के ग्राम देवरी बुजुर्ग के समस्त ग्रामवासियों द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में संचालन कर रहे संजय मिश्रा ने बताया कि श्रीधाम वृंदावन से पधारे व्यास जी महाराज एवं आचार्यों की टोली ने महायज्ञ के मुख्य यजमान कमला देवी कश्यप एवं राम औतार कश्यप को विधि विधान से पूजन अर्चन कराकर सती चरित्र की पावन कथा सुनाई। कहा कि बिना निमंत्रण जाने से पहले हर जगह पर यह ध्यान जरूर रखना चाहिए जहां आप जा रहे हैं वहां आपका, अपने ईष्ट का या अपने गुरु का अपमान हो या इसकी आशंका हो वहां बिल्कुल भी जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्मदाता पिता का घर क्यों न हो? उन्होंने उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि द्वारा अपमानित होने पर भी उनकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया और उसे भक्ति के मार्ग पर चलकर परमपिता की गोद की प्राप्ति के लिए प्रेरित किया। जिससे ध्रुव ने भगवान को प्रसन्न कर उनकी गोद परम पद पाया, क्योंकि भक्ति के मार्ग में उम्र बाधा नहीं बनती यह होती है एक सच्ची मां की सीख। जो बताती है कि बचपन में ही अगर अच्छी प्रेरणा मिले, तो ध्रुव महाराज की भांति बालक श्रेष्ठ बन जाता है। उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नर्कगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत कथा में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया गया है। उन्होंने अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस विषय को विस्तार से समझाया, साथ ही प्रहलाद के चरित्र में के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि भगवान नरसिंह रूप में लोहे के खंभे को ही फाड़कर प्रकट हुए क्योंकि उन्हें प्रहलाद के विश्वास को सच करना था। इसलिए खंभे को फाड़ प्रकट होकर भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध कर प्रहलाद के प्राणों की रक्षा की। इस दौरान कथा मंडप महिलाओं एवं भक्तों के जयकारों से गुंजायमान रहा। तृतीय दिवस की कथा में बुजुर्गाे के नेतृत्व ग्रामीणों ने कथा व्यास एवं आचार्यों का भव्य स्वागत किया। कार्यक्रम में मुख्य यजमानो समेत सैकड़ो महिलाओं एवं ग्रामीणों ने संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा एवं सुमधुर भजनों का रसपान किया।
भक्त की सच्ची भक्ति भगवान को प्राकट्य हेतु कर देती विवश: श्रीकान्त
