हुसैनगंज विधान सभा से नए प्रत्याशी की चर्चा पर क्षेत्र में मची हलचल

      हुसैनगंज विधान सभा से नए प्रत्याशी की चर्चा पर क्षेत्र में मची हलचल
👉 “लाला सिंह” हो सकते है हुसैनगंज विधान सभा से विधायक के रूप में नए प्रत्याशी
👉 जिले से दोनो ठाकुर प्रत्याशी के हार जाने से कुछ अलग समीकरण पर चल रही तैयारी
👉 इस बार नए चेहरे पर टिकी हैं निगाहें निष्पक्ष विचारधारा के रूप में पहचान है “लाला सिंह” की
👉 हिंदू मुस्लिम के साथ अन्य जातियों में मजबूत पैठ रखने वाले सरल स्वभाव के नाम से जाने जाते है “लाला सिंह”
👉 कलम की निपुणता के साथ साथ सामाजिक व समाजसेवा के कार्यों में भी देखा जाना सहज ही अनुमान लगाया जाना
👉 हुसैनगंज विधान सभा क्षेत्र को विकास की नई दिशा की ओर ले जाने की कयादत से जनता में बोलबाला खूब हो रहा
👉 जनता की है यही पुकार,, लाला सिंह होंगे अबकी बार सामान्यतः ऐसा कहते सुना जा सकता है

ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ फतेहपुर

समाज में दो तबके के लोग पाए जाते है एक वो जिसके पास शोहरत न होते भी ढोल पीट पीट कर अपनी शोहरत का दिखावा करते है,, दूसरा वो जो शोहरत का हकदार होते हुए भी शोहरत से दूर भागते है। और अपने को सरल ही दिखाने की कोशिश करते है।
क़लम के माहिर, वरिष्ठ पत्रकार सियासत और शोहरत से दूर रहने वाले “लाला सिंह” हो सकते है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि उनकी रगों में दौड़ने वाली सियासी हरारत की चाप को सुना न जा सकता हो।
( सिंह ब्रदर नगरी ) कही जाने वाली हुसैनगंज विधानसभा में कई दिग्गज ( सिंह ) प्रत्याशी इस बार ताल ठोककर मैदान में उतरने की जोरदार तैयारी में लगे हुए हैं। ऐसा होना स्वाभाविक भी है योग्यता को दबाकर नहीं रखना चाहिए,,, लेकिन जिले के पूर्वी क्षेत्र ओरमां से चल रही फिजाएं कुछ और ही इशारा कर रही,,,
किसी राजनीति कार्यक्रम में शोर मचाते हुए,, जोरदार हो,हल्ला और धार्मिक व इत्तेहादिक नारों के साथ सियासी व्यापार तो किया जा सकता है लेकिन जनता के लिए सियासी प्रतिनिधि बनकर उनके मुद्दे की लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती।
लेकिन एक बौद्धिक किस्म का जागरूक नागरिक जनता की न्यायिक लड़ाई को मुद्दा बनाकर उसे अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश करता हैं
मेरा मानना है के एक विगत गुजरे समय से बेहतर अखबार चलाने वाला जिसका समय के सरोकारों के साथ खास रिश्ता बन जाता हैं जो अपने आप जनता का मंच कहलाया जाने लगता है। यहां “लाला सिंह” के द्वारा अपने क्षेत्र में अत्याधुनिक इमारती विकास देना व्यापारी रिस्क तो हो सकता है लेकिन क्षेत्रीय जनता की लिए सुविधा का बाईस भी कहा जा सकता है। जो कही न कही अपने क्षेत्र की जनता के बीच प्रेम और सौहार्द का रिश्ता समझ में आना या जनता को भी अपने लिए ऐसा प्रतिनिधि चुनना आपसी सामंजस्य की ओर इशारा दिखाई देना व कयास लगाना स्वाभाविक हो सकता है।
समाज में सिंह जाती को गुस्सैल और जुझारू विचारधारा के लक़ब दिए जाने वाली पहचान के विपरीत “लाला सिंह” को गरीबों के प्रति सहानुभूति के साथ जन कल्याण के कार्यों से प्रेरित होकर समय के अनुसार जरूरतमंदों के काम आते भी देखा गया है।
पर मेरा मानना हैं कि अखबार नवीस भले ही अच्छे भाषण दें सकते हो पर राजनीतिज्ञ नहीं हो सकते क्योंकि पत्रकार नित्य नए विचारों और घटनाओं से प्रेरित हो जाते है। जोकि ये उनके स्वभाव और पेशे की मांग होती है। जबकि सियासत एक तय दिशा में आगे बढ़ती रहती है।
अब देखना ये है कि हुसैनगंज विधान सभा की सियासी हलचल समय आते आते किस ओर करवट लेती है या “लाला सिंह” की ये सियासी पारी कितने भावनाओं का दबाव बर्दाश्त कर सकती है – अजरा न्यूज फतेहपुर

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