निजीकरण वापस न होने पर मई माह में बड़े आंदोलन की चेतावनी

  विद्युत निजीकरण के विरोध में सदर विधायक को सौंपा ज्ञापन
निजीकरण वापस न होने पर मई माह में बड़े आंदोलन की चेतावनी
फोटो परिचय- सदर विधायक को ज्ञापन सौंपते संघर्ष समिति के पदाधिकारी।
अजय सिंह अज़रा न्यूज़ फतेहपुर। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में सोमवार को विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने सदर विधायक को ज्ञापन दिया। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि निजीकरण का निर्णय वापस न लिया गया तो मई के महीने में आंदोलन होगा। जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार और प्रबंधन की होगी। निजीकरण के विरोध में आज लगातार 145 वें दिन विरोध प्रदर्शन जारी रहा।
विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने सदर विधायक चंद्रप्रकाश लोधी को दिए गए ज्ञापन में बताया कि उत्तर प्रदेश के सबसे गरीब 42 जिलों में बिजली का निजीकरण न रोका गया तो इस क्षेत्र की गरीब जनता को बिजली के तीन गुना दाम देने पड़ेंगे और यहां की गरीब जनता लालटेन युग में पहुंच जाएगी। सबसे ज्यादा दिक्कत किसानों को होगी। प्रदेश सरकार एक अप्रैल 2023 से किसानों को मुफ्त बिजली दे रही है लेकिन उत्तर प्रदेश में ही ग्रेटर नोएडा में काम कर रही निजी कंपनी और आगरा में काम कर रही टोरेंट कंपनी किसानों को मुक्त बिजली की सुविधा नहीं देती। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि यदि निजीकरण का निर्णय वापस न लिया गया तो बिजली कर्मचारियों को मजबूरन अगले माह आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। जिससे होने वाले परिणामों की सारी जिम्मेदारी सरकार और प्रबंधन की होगी। संघर्ष समिति द्वारा दी गई नोटिस के अनुसार पूरे प्रदेश के सभी समस्त जनपदों में 01 मई को मोटरसाइकिल रैली निकाली जाएगी। 02 मई से 09 मई तक राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन पर क्रमिक अनशन होगा। 14 मई से 19 मई तक नियमानुसार कार्य आंदोलन होगा। 20 मई को देश के कर्मचारियों के साथ विरोध प्रदर्शन होगा। 21 मई से 28 मई तक तीन घंटे का कार्य बहिष्कार होगा और 29 मई से अनिश्चितकाल कार्य बहिष्कार किया जाएगा।

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