काली स्विफ्ट ही क्या ? क्रीम स्कार्पियो, सफेद टवेरा जैसी और अन्य लक्ज़री गाड़ियां भी हैं क्रमगत

 काली स्विफ्ट ही क्या ? क्रीम स्कार्पियो, सफेद टवेरा जैसी और अन्य लक्ज़री गाड़ियां भी हैं क्रमगत

ज़र्रेयाब खान अज़रा न्यूज

यदि आप जीटी रोड में दो घण्टे के लिए बैठ जायँ तो इतने समय के अंदर 40 परसेंट गाड़िया ऐसी निकलेंगी जिन पर प्रेस लिखा होगा। उनके ड्राइवरो तक के कार्ड देखने को मिल सकते हैं। हँसी तो इस बात पर आती है कि जिन्हें “प्रेस” का “प्र” भी लिखना नही आता होगा। वो भी संपादक, सह संपादक, उप संपादक, ब्यूरो चीफ व क्राइम रिपोर्टर का प्रेस कार्ड शर्ट के ऊपरी जेब मे रख कर घूम रहे और चौकी, थाने व ट्रैफिक पुलिस पर रौब झाड़ते नज़र आ रहे।
हद तो जब हो गयी जब कल एक कथित पत्रकार “ई रिक्शा” वाले पर रौब झाड़ता नज़र आ गया।
शहर के बाकर गंज से बैठकर लखनऊ चौराहे पर उतरने के बाद जब चालक ने किराया मंगा तो एक कथित पत्रकार
वीकली अखबार से जुड़ा तीन अल्फाबेट्स वाले कार्ड को दिखाकर बोला साले मैं पत्रकार हूँ यही पास में मेरा कार्यालय है। मुझसे पैसा मांग रहा अभी पुलिस को बुलाकर तुझे अंदर करा दूंगा। बेचारा ई रिक्शा चालक,,, मरता न क्या करता जैसी अतिश्योक्ति पंक्ति को भुन भुनाता चलता बना।
दर असल ये जिले के सूचना प्रशासनिक सिस्टम के लचीली जांच व्यवस्था का दुष्परिणाम है जिसके चलते पत्रकारिता जैसी गरिमामयी क्षेत्र का कुछ असंवैधानिक मानसिकता के लोग पोस्टमार्टम करने पर आमादा है।
शहर में कई वीकली अख़बारी संस्थानों ने नियम कायदे की अज्ञानता के चलते उगाही की नीयत से, लकड़ी माफिया , जमीनी कारोबारी, मुर्गी और मछली के कटिंग मास्टर, ई रिक्शा फर्म के संचालक, को बहुरी की तरह प्रेस कार्ड जारी कर दिया और खुद का भौकाल दिखा कर इन कारोबार के हिस्सेदारी में भी शामिल, शय देकर सिस्टम को मज़ाहिया संदेश देने का काम किया है।
परिणामस्वरूप यही अज्ञानी अपने को पत्रकार कहकर थाने और चौकी में बेधड़क दाखिल होते है और घन्टो थानों में बैठकर पुलिस की गोपनीय कार्यशैली पर नज़र रखते है। फिर बाहर आकर रौबी अदाकरी से अपनी भाषा से परिभाषित कर उसे बेचने का काम करते है।
बहुत जल्द कुछ ऐसे प्रार्थना पत्र सामने आने वाले है,,, जिसमे खबर की पहली लाइन होगी कि एक वीकली अखबार के संपादक के जरिये बड़ी उगाही सामने आई
पीड़ित शहर से लेकर प्रयागराज जैसे अन्य जिलों से प्रार्थना पत्र देते नजर आ रहे।
जबकि पत्रकारिता जैसे संवैधानिक क्षेत्र की गरिमा पर ऐसी शिकायतें आने पर “प्रेस वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष “विवेक मिश्रा” द्वारा क्लियर कट जांच के आदेश कराने की बात प्रशाशनिक स्तर पर कई बार उठायी जा चुकी है
यहाँ एक बात और भी स्पष्ट हो जानी चाहिए कि पत्रकार समाज का सजग सदस्य होता है। तथा इसी कारण उसके कुछ समाजिक दायित्व भी होते हैं। इन्ही समाजिक दायित्वों की जानकारी कराने के लिए कानून की आवश्यकता होती है। कानून मर्यादाओं के साथ सजा दिलाने का भी मापदंड तय करता है। इसलिए इसलिए हमें आने कर्तव्यों के प्रति सजग रहकर मर्यादित कार्य करने की प्रेरणा के साथ जनन्यायिक के प्रतिनिधत्व का भी पालन करना होगा – मो.ज़र्रेयाब खान संपादक अज़रा न्यूज़

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