सियासी जानकारों का कहना है कि जिन परिस्थितियों में सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाया गया था, उसी वक्त तय हो गया था कि देर सबेर राज्य में बगावत हो सकती है। सियासी जानकार बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य और मुख्यमंत्री के बीच अनबन की खबरें बाहर आती रहती थीं..

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार पर छाए संकट के बाद अचानक नहीं घिरे हैं। दरअसल इस संकट के बादलों की पूरी पटकथा तो 2022 में सरकार बनने के साथ ही लिखी जाने लगी थी। लेकिन बीच-बीच में नई सरकार का हवाला देकर और ऐसी छोटी-मोटी उठापटक के बीच सब ठीक हो जाएगा, ऐसा कह कर कांग्रेस के ही नेता हिमाचल की सियासत के संकट को टालते रहे। सियासी जानकारों का मानना है कि जो स्थिति हिमाचल प्रदेश में आज बनी है, इसका अंदेशा पहले से लगाया जा रहा था। सीएम सुक्खू से बिगड़ते रिश्तों के बीच हिमाचल प्रदेश के नाराज नेताओं ने दिल्ली आलाकमान से अपनी शिकायत तक दर्ज की थी। बताया यह तक जा रहा है कि दिल्ली में कांग्रेस नेताओं के बीच हिमाचल के नेताओं की महत्वपूर्ण बैठक भी हुई। हालांकि नतीजा सिफर रहा।

तीन राज्यों में हुए राज्यसभा के चुनावों के बाद सबसे ज्यादा सियासी संकट हिमाचल प्रदेश में खड़ा हो गया है। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य ने तो बुधवार को इस्तीफा ही दे दिया। वरिष्ठ पत्रकार शशिकांत कहते हैं कि हिमाचल में जो सियासी तस्वीर इस वक्त दिख रही है, उसकी पूरी पटकथा तो 2022 में ही लिख दी गई थी। वह कहते हैं कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह की आपस में कभी पटरी ही नहीं खाई। जब 2022 का पूरा चुनाव वीरभद्र सिंह के काम और उनके नाम पर लड़ा गया, तो सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाया जाना कांग्रेस के एक खेमे को हजम नहीं हुआ। अंदरूनी तौर पर राजा वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री के तौर पर बनाए जाने की मांग की जा रही थीं।

सियासी जानकारों का कहना है कि जिन परिस्थितियों में सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाया गया था, उसी वक्त तय हो गया था कि देर सबेर राज्य में बगावत हो सकती है। सियासी जानकार बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य और मुख्यमंत्री के बीच अनबन की खबरें बाहर आती रहती थीं। कई मामलों में मतभेद इस स्तर के हुए कि विक्रमादित्य को कांग्रेस आलाकमान से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मामले को लेकर बात तक करनी पड़ी। बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे वीरभद्र सिंह की मूर्ति को लगाने के लिए जब विक्रमादित्य को जमीन मिलने में दिक्कत हुई, तो उन्होंने इस बाबत कांग्रेस आलाकमान से अपनी नाराजगी जाहिर की थी। इसके अलावा अपनी विधानसभा समेत प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कई प्रोजेक्ट के दौरान आ रहीं अड़चनों पर भी सुक्खू को आड़े हाथों लिया था। पत्रकार राजेश शर्मा कहते हैं कि जब विक्रमादित्य सिंह अयोध्या में राम मंदिर का दर्शन करने गए और उसके दौरान सोशल मीडिया पर आ रही पोस्ट से ही कयास लगाए जाने लगे थे कि कुछ बड़ा होने वाला है।

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार शशि कहते हैं कि मामला सिर्फ विक्रमादित्य से ही नहीं बिगड़ा, बल्कि कई और विधायक भी वर्तमान मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चे पर डट गए थे। वह कहते हैं कि कांग्रेस के विधायक सुधीर शर्मा समेत कई नेता भी बगावत करने के मूड में पहले से ही आ गए थे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सुधीर शर्मा ने पार्टी में बगावत करने से पहले कई अन्य विधायकों को भी अपने साथ जोड़ा था। यही वजह है कि जब राज्यसभा के लिए मतदान हुआ, तो क्रॉस वोटिंग के चलते भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हर्ष महाजन विजयी हो गए। राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस के विधायक सुधीर शर्मा ने राज्य में मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावती आवाजों को कांग्रेस के नेताओं तक पहुंचाया था। बताया यही जा रहा है कि कांग्रेस के विधायकों ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत मल्लिकार्जुन खरगे को मुख्यमंत्री की ओर से कई विधायकों और मंत्रियों के काम में रोड़े अटकाए जाने का आरोप लगाते हुए बात ऊपर तक पहुंचाई थी।

सूत्रों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री के खिलाफ पनप रही बगावत और नाराजगी को लेकर पार्टी के प्रमुख नेताओं ने बैठक भी की थी। तकरीबन तीन महीने पहले हुई इस बैठक में हिमाचल प्रदेश के मुद्दों को स्थानीय नेताओं के माध्यम से समझा भी गया था। हालांकि कांग्रेस के बागी नेताओं का मानना है कि बैठक बेनतीजा इसलिए रह गई क्योंकि पार्टी आलाकमान ने उसे गंभीरता से लिया ही नहीं। राजनीतिक जानकार राजेश शर्मा कहते हैं कि यह बात सच है कि हिमाचल प्रदेश के कांग्रेसी विधायकों ने राज्यसभा चुनाव से पहले भी मुख्यमंत्री के खिलाफ आवाज मुखर की थी। लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने इसकी गंभीरता को नजरअंदाज कर दिया। वह कहते हैं कि कांग्रेस को इस बात की भनक तक नहीं थी कि राज्यसभा के चुनाव में इस तरह से क्रॉस वोटिंग होगी और राज्य की कांग्रेस सरकार खतरे में पड़ जाएगी।

Azra News

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