चुनावी पिच पर खुल कर खेल रहे राहुल गांधी के आत्मविश्वास के पीछे कई कारण हैं। भारत जोड़ो यात्रा, पार्टी में बड़ा पद नहीं, न्याय पत्र और कांग्रेस का बढ़ता जनाधार आदि कई वजह हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी का आत्मविश्वास बढ़ा दिया है।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष 'राहुल गांधी', फ्रंट फुट पर बैटिंग कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से उन्होंने अपनी रैलियों में कहना शुरू कर दिया है कि 'झूठ की फैक्ट्री' भाजपा, खुद को कितना भी दिलासा दे ले, कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। एक बार फिर कह रहा हूं, चार जून के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे। देश के हर कोने में 'इंडिया' की आंधी चल रही है। 01 जुलाई 2024 को सुबह-सुबह गरीब परिवार की महिलाएं जब अपना अकाउंट चेक करेंगी, तो उसमें 8500 रुपये आ चुके होंगे। इतना ही नहीं, राहुल गांधी ने कहा, मुंबई और गुवाहाटी से लेकर अहमदाबाद तक तमाम के एयरपोर्ट प्रधानमंत्री ने अपने 'टेंपो वाले मित्र' को सौंप दिए हैं।

चुनावी पिच पर खुल कर खेल रहे राहुल गांधी के आत्मविश्वास के पीछे कई कारण हैं। भारत जोड़ो यात्रा, पार्टी में बड़ा पद नहीं, न्याय पत्र और कांग्रेस का बढ़ता जनाधार आदि कई वजह हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी का आत्मविश्वास बढ़ा दिया है।

पहले देखने को नहीं मिली ऐसी आक्रामकता

राहुल गांधी ने खासतौर पर, मतदान के तीसरे चरण के बाद भाजपा और पीएम मोदी पर तीखा हमला बोला है। भाजपा द्वारा कांग्रेस पर किए गए हमले का करार जवाब दिया है। कांग्रेस पार्टी से जुड़े नेताओं का मानना है, राहुल ने अपनी चुनावी रैलियों में जो आक्रामता दिखाई है, वह पहले देखने को नहीं मिली थी। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष की ऐसी आक्रामकता 2019 के चुनाव में भी नहीं देखी गई। अब राहुल गांधी, अगले दिन का इंतजार नहीं करते, बल्कि सत्ता पक्ष के किसी भी आरोप का जवाब तुरंत देते हैं। इस चुनाव में भाजपा की तरफ से जो मुद्दे उठाए गए, उन्होंने भी राहुल के आत्मविश्वास को बढ़ाया है। खुद पीएम मोदी ने कई ऐसे मुद्दे उठाए हैं, जो कांग्रेस पार्टी के एजेंडे में ही नहीं रहे। पीएम मोदी ने सैम पित्रोदा के बयान को नस्लीय टिप्पणी से जोड़ दिया। हालांकि यहां कांग्रेस पार्टी, बैकफुट पर नजर आई। इन सबके बीच राहुल ने महंगाई, नौकरी और महिलाओं के मुद्दे उठाए।


सत्ता पक्ष के नेताओं की बयानबाजी भी जिम्मेदार

कांग्रेस पार्टी के नेता के मुताबिक, राहुल के आत्मविश्वास को मजबूत करने में सत्ता पक्ष के नेताओं की बयानबाजी भी जिम्मेदार रही है। भाजपा ने असल मुद्दों से हटकर बयानबाजी की है। चुनाव प्रचार में कभी पाकिस्तान तो कभी मंगलसूत्र की एंट्री हो जाती है। राहुल ने ऐसे बयानों का जोरदार तरीके से जवाब दिया। उन्होंने कहा, भाजपा सरकार आई तो आरक्षण को खत्म कर देगी। संविधान भी खतरे में है। दूसरे चरण के मतदान के बाद राहुल ने महसूस किया कि इंडिया गठबंधन की स्थिति मजबूत हो रही है। पीएम मोदी ने जब तेलंगाना के करीमनगर में अंबानी और अदानी का नाम लेते हुए कांग्रेस पर हमला किया तो राहुल ने तुरंत एक वीडियो जारी कर दिया। मोदी ने कहा था, जब से चुनाव घोषित हुआ है, इन्होंने (राहुल गांधी), अंबानी-अदाणी को गाली देना बंद कर दिया है। मैं आज तेलंगाना की धरती से पूछना चाहता हूं कि शहजादे घोषित करें, चुनाव में अंबानी-अदाणी से कितना माल उठाया है। काले धन के कितने बोरे भरकर आए हैं। आज टेंपो भरकर नोट कांग्रेस के लिए पहुंची है क्या।


राहुल ने दिया जवाब, थोड़ा सा घबरा गए क्या

पीएम मोदी के इस बयान पर, चुनाव में अंबानी-अदाणी से कितना माल उठाया है, राहुल गांधी ने पलटवार किया। एक वीडियो मैसेज में उन्होंने कहा, नमस्कार मोदी जी, थोड़ा सा घबरा गए क्या। आमतौर पर आप बंद कमरों में अदाणी और अंबानी की बात करते हो। आपने पहली बार पब्लिक में अंबानी, अदाणी बोला। आपको ये भी मालूम है कि ये टेंपो में पैसा देते हैं। निजी अनुभव है क्या। राहुल ने कहा, एक काम कीजिए। सीबीआई और ईडी को इनके पास भेजिए। पूरी जानकारी करिए। जांच करवाइए। जल्दी से जल्दी करवाइए। घबराइए मत मोदी जी। मैं देश को फिर दोहरा कर कह रहा हूं कि जितना पैसा नरेंद्र मोदी जी ने इनको दिया है न। उतना ही पैसा हम हिंदुस्तान के गरीबों को देने जा रहे हैं। इन्होंने 22 अरबपति बनाए हैं, हम करोड़ों लखपति बनाएंगे। भाजपा नेताओं ने चौथे चरण के मतदान से पहले पाक अधिकृत कश्मीर 'पीओके' का मुद्दा उठाया।

राहुल पर किसी दबाव की स्थिति नहीं रही

कांग्रेस पार्टी की राजनीति को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक रशीद किदवई कहते हैं, मौजूदा राजनीतिक हालात में राहुल गांधी के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। अब वे सत्ता पक्ष के किसी भी बयान का काउंटर करने में देर नहीं लगाते। मौजूदा राजनीतिक हालात के अलावा भी इसके पीछे कई दूसरी वजह हैं। राहुल ने जब से कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ा है तो उन पर दबाव की स्थिति नहीं रही। अब उन पर संगठन की भी कोई जिम्मेदारी नहीं है। वे फ्री हैंड बैटिंग कर सकते हैं। दूसरा, राहुल गांधी अब अपनी शैली से राजनीति को देख रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा पार्ट 'वन' और 'टू' ने उनमें आशा का नया संचार किया है। उन्होंने इंडिया गठबंधन में भी अहम भूमिका निभाई। देश में कांग्रेस का वोट बैंक है, जब उन्होंने इसे प्रतिशत में काउंट किया तो आत्मविश्वास बढ़ गया। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें लगा कि हर दूसरा या तीसरा व्यक्ति, कांग्रेस के बारे में, इंडिया गठबंधन के बारे में बात करता है। इस चुनाव में उन्होंने सभी लोकसभा सीटों पर फोकस नहीं किया। चुनींदा सीटों पर बेहतर प्रदर्शन के लिए एक खास रणनीति बनाई। इंडिया गठबंधन के सहयोगियों को भी मौका दिया।

इससे ज्यादा खराब स्थिति नहीं हो सकती

बतौर रशीद किदवई, कांग्रेस के न्याय पत्र में कुछ था। तभी तो वह भी कई दिन तक भाजपा की जुबान पर रहा। उसकी आड़ में कांग्रेस पार्टी और राहुल को निशाना बनाने का प्रयास हुआ। इसका दोहरा फायदा हुआ। एक तो कांग्रेस को यह यकीन हो गया कि न्याय पत्र मजबूत है। उसमें कुछ खास है, तभी तो वह जनता से कनेक्ट करता है। 88 लाख लोगों ने उसे डाउनलोड किया है। इन सब बातों ने राहुल के आत्मविश्वास को बढ़ाया है। अगर आप पर कोई प्रेशर नहीं है, आप पीएम पद के उम्मीदवार नहीं हैं, सीटें कम ज्यादा हों, इसका आप पर कोई दबाव नहीं है। जिस तरह से 2019 के लोकसभा चुनाव में हुई हार के बाद दबाव के चलते राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था, अब 2024 में वैसा कोई दबाव नहीं है। राहुल खुल कर और बिना किसी दबाव के बैटिंग कर रहे हैं। उन पर कोई मनोवैज्ञानिक दबाव भी नहीं है। मौजूदा हालात में वे इस बात को समझ रहे हैं कि इससे ज्यादा खराब स्थिति नहीं हो सकती। ऐसे में वे पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनाव में उतरे हैं।

राहुल ने दिया है डट कर जवाब

जब पीएम मोदी ने दो उद्योगपतियों को नाम लेकर टेंपो वाला बयान दिया, तो राहुल ने उसे कई दिन तक भुनाया। उन्होंने कहा, देश की संपत्ति कितने टेंपो के बदले बेची गई, क्या नरेंद्र मोदी जनता को बताएंगे। अमेठी और रायबरेली को लेकर बने एक वीडियो में दिखाया गया, मां के साथ पुरानी तस्वीरें देखकर पापा और दादी की याद भी आ गई। सेवा की यह परंपरा मैंने और मां ने आगे बढ़ाई। प्रेम और विश्वास की बुनियाद पर खड़े 100 वर्षों से भी पुराने इस रिश्ते ने हमें सब कुछ दिया है। अमेठी और रायबरेली जब भी हमें पुकारेंगे, हम वहां मिलेंगे। राहुल ने कहा, मोदी ने देश को नोटबंदी की लाइन में तड़पाया, ऑक्सीजन-सिलेंडर की लाइन में रुलाया और प्रतियोगी परीक्षा दे रहे युवाओं को कोर्ट-कचहरी की लाइन में उलझाया। कांग्रेस सिर्फ एक लाइन में लगाएगी, एक लाख की लाइन में। ऐसी लाइन, जिसमें खड़े होने का इंतजार हर गरीब महिला बेसब्री से कर रही है।

अब हाथ बदलेगा हालात

महालक्ष्मी योजना गरीब परिवारों की 'लाइफ लाइन' बनने जा रही है। राहुल ने कहा, महिलाओं को लेकर साथ, अब हाथ बदलेगा हालात। वो 10 साल से 'टेंपो वाले अरबपतियों' से मिले 'नोटों की गिनती' कर रहे हैं, हम 'जातिगत गिनती' से देश का एक्स-रे कर, हर वर्ग की न्यायपूर्ण हिस्सेदारी सुनिश्चित करेंगे। बतौर राहुल, मैं फिर कहता हूं, चार जून के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहने वाले। 4 जून को इंडिया गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। हमारी गारंटी है कि 15 अगस्त तक हम 30 लाख रिक्त सरकारी पदों पर भर्ती का काम शुरू कर देंगे। नरेंद्र मोदी के झूठे प्रचार से भटकना मत, अपने मुद्दों पर डटे रहना। मोदी और आरएसएस, संविधान बदल कर दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का आरक्षण व उनके अधिकार छीन लेना चाहते हैं।

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