पुणे की सियासत में यहां भी राम मंदिर से लेकर प्रज्ज्वल रेवन्ना का मामला गूंज रहा है। अज़रा न्यूज़ ने पुणे में ऐसे ही कभी धुर-विरोधी रहे नेताओं की नब्ज भी टटोली और मुद्दे भी जाने।

वैसे तो समूचे महाराष्ट्र में बदली हुई सियासत का रंग नजर आ रहा है। लेकिन पुणे में कभी एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले गले में बाहें डाल कर सियासत कर रहे हैं। शिवसेना के नेता राहुल गांधी जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं। तो कभी शरद पवार की एनसीपी की धुर विरोधी पार्टी कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता शरद पवार की जय जयकार कर रहे हैं। हालांकि सभी नेता इस बात पर असहज हो जाते हैं, जब उनसे यह पूछा जाता है कि वह कौन सी शिवसेना या कौन सी एनसीपी से हैं। वहीं यहां के चुनावी मुद्दों में लोगों की रोजमर्रा से जुड़ी समस्याएं प्रमुख हैं। हालांकि सियासत में यहां भी राम मंदिर से लेकर प्रज्ज्वल रेवन्ना का मामला गूंज रहा है। अज़रा न्यूज़ ने पुणे में ऐसे ही कभी धुर-विरोधी रहे नेताओं की नब्ज भी टटोली और मुद्दे भी जाने।

पुणे के विक्रम कहते हैं कि वह शिवसेना से हैं। यह पूछने पर कि वह कौन सी शिवसेना से हैं, तो उनका कहना है कि यह सवाल उन्हें बहुत अखरता भी है और बुरा भी लगता है। वह कहते हैं कि उनका पूरा बचपन शिवसेना में ही गुजर गया। महाराष्ट्र में शिवसेना सिर्फ एक ही है, और वह है बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना। यह पूछने पर कि अब तो एक शिवसेना-एकनाथ शिंदे की भी है। जिसका चुनाव निशान वही है, जो बाला साहब ठाकरे ने तय किया था। विक्रम कहते हैं कि गद्दारी करके जो उनके साथ धोखा किया गया है, उसका परिणाम इस लोकसभा चुनाव में दिखेगा। फिलहाल उनकी पूरी कोशिश घर-घर तक नए चुनाव चिन्ह मशाल को पहुंचाने की है।

पुणे में कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष रमेश राउत कहते हैं कि महाराष्ट्र में जो इस वक्त सियासी संकट पैदा हुआ, उसके चलते सभी प्रमुख पार्टियां एक साथ हैं। वह कहते हैं कि निश्चित तौर पर पिछले चुनावों में हम अपने वर्तमान साथियों के विरोध में थे। लेकिन जो परिस्थितियां और हालात भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में पैदा कर दिए, उसके चलते सभी लोग एकजुट होकर सामने आए हैं। रमेश कहते हैं कि 2014 से भारतीय जनता पार्टी केंद्र में है। राज्य में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। लेकिन जो वायदे किए गए थे, उनको अब तक महाराष्ट्र की जमीन पर नहीं उतारा गया है। लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जंग लड़ रहे हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी विकास की वजह से दलों को तोड़ने में लगी है। यही वजह है कि महाराष्ट्र की जनता इस बार अपनी सियासी रोटियां सेकने वालों को सत्ता से बाहर करेगी।

एनसीपी शरद पवार के नेता बलदेव कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने भ्रष्टाचारियों को बाहर करने का वादा किया था। लेकिन हुआ क्या, सभी लोगों पर ईडी, सीबीआई और आईटी का दबाव डालकर अपने साथ शामिल कर लिया। शरद पवार और अजीत पवार के अलग होने पर बलदेव कहते हैं कि यह सब को पता है कि उन्होंने अजित पवार पर दबाव डाल कर अलग किया है। यह दबाव उन सरकारी एजेंसियों का है, जिनका भारतीय जनता पार्टी सत्ता पाने के लिए इस्तेमाल करती हैं। उनका कहना है कि इस चुनाव में उद्धव ठाकरे की शिवसेना शरद पवार की एनसीपी, कांग्रेस समेत अपने सभी सहयोगियों के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करेगी। वह बताते हैं कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ लोग भावनात्मक रूप से जुड़ चुके हैं। यहां के लोग इस बात को मानते हैं कि उनके साथ भारतीय जनता पार्टी में धोखा करके उनकी पार्टी को तोड़ दिया है।

इलाके में ही अपना व्यापार करने वाले प्रदीप कहते हैं कि महाराष्ट्र चुनाव में राम मंदिर से लकर देवगौड़ा के पोते तक का मुद्दा मजबूती से छाया है। प्रदीप नाराज होते हुए कहते हैं कि जब बात जीरो टॉलरेंस की होती है, तो फिर प्रज्वल रेवन्ना जैसे लोगों को कैसे छोड़ दिया जाता है। क्यों भारतीय जनता पार्टी इस मामले में जीरो टॉलरेंस नीति नहीं अपनाती है। यह मामला भी तो हमारे देश की महिलाओं की अस्मिता से जुड़ा हुआ है। प्रदीप कहते हैं कि लोग यहां खुलकर बोल भले ना रहे हों, लेकिन यह वह मुद्दे हैं जो जनता के दिलों दिमाग पर पूरी तरह असर डाल रहे हैं। इन सब का असर आने वाले चुनाव में जबरदस्त तरीके से पड़ने वाला है।

वहीं सियासत से हटकर स्थानीय लोग अपने जरूरी मुद्दों के साथ वोट देने की बात कर रहे हैं। स्थानीय निवासी दीनबंधु वर्मा कहते हैं कि पुणे जैसे शहर में बस रहे बाहरी इलाकों में पानी का जो संकट है, वह हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या है। अब पानी जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए स्थानीय स्तर पर ही योजनाएं बननी चाहिए। लेकिन हमें मजबूर होकर दिल्ली में चुनकर जाने वाले नेताओं के सामने गुहार लगानी पड़ रही है। वह कहते हैं कि पुणे जैसे शहर में दुनिया की बड़ी बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाए नहीं मिल पा रही हैं। हमारे लिए चुनाव में यही सबसे बड़ा और प्रमुख मुद्दा है।

पुणे के नैनेश शिलेनकर कहते हैं कि पुणे लोकसभा चुनाव में स्थानीय समस्याएं महत्वपूर्ण मुद्दे के तौर पर सामने हैं। उनका कहना है कि हमारे इलाके में ट्रैफिक जाम से लेकर सड़क और पानी की दिक्कतें बनी हई हैं। नैनेश कहते हैं कि यहां के स्थानीय सांसद से पहले भी सड़क निर्माण से लेकर लाखों की संख्या में अलग-अलग सोसाइटीज में रह रहे लोगों को हो रहीं पानी की समस्या से निजात दिलाने की मांग की जा चुकी है। स्थानीय स्तर पर उनकी समस्याएं नहीं सुनी जा रहीं, तो इसमें कमी किसकी है। वह तो अपनी बिजली पानी सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए सांसद क्या प्रधानमंत्री तक से गुहार लगाएंगे। नैनेश की नाराजगी सियासत करने वालों से इसलिए भी है कि वह जोड़ तोड़कर के राजनीतिक तो करना चाहते हैं। लेकिन उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए, न तो नेताओं के पास वक्त है और न ही सटीक जानकारी।

Azra News

Azra News

Next Story