अभी राजस्थान कांग्रेस में 40 प्रदेश महासचिव, 20 उपाध्यक्ष और 119 सचिवों सहित 400 ब्लॉक और 2200 मंडल अध्यक्ष-पदाधिकारी हैं। 15 से 20 महासचिव, तीन उपाध्यक्ष, 50 से 60 प्रदेश सचिव, इतने ही ब्लॉक अध्यक्ष और 300 मंडल अध्यक्ष और पदाधिकारी या तो निष्क्रिय रहे या अपने हिसाब से क्षेत्रों में चले गए। 20 प्रदेश उपाध्यक्षों में से 10 प्रदेश कार्यालय में देख रहे थे, लेकिन शेष 10 संभागों के प्रभारी थे।

लोकसभा चुनाव के परिणाम चार जून को आएंगे। नतीजे चाहे कांग्रेस के पक्ष में आएं या नहीं। लेकिन परिणाम आने के साथ ही राजस्थान कांग्रेस में बड़े बदलाव होंगे। कांग्रेस पदाधिकारियों की बड़ी फौज कार्यकारिणी से बाहर होगी और नए नेताओं की एंट्री होगी। राजस्थान कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ या काम नहीं करने वाले सभी पदाधिकारी हटाए जाएंगे। इनमें प्रदेश उपाध्यक्ष, महासचिव, जिला, मंडल और ब्लॉक पदाधिकारी शामिल हैं। इन सभी नेताओं को प्रदेश कांग्रेस ने नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है।

दरअसल, लोकसभा चुनाव को देखते हुए राजस्थान कांग्रेस ने प्रदेश उपाध्यक्ष और महासचिवों को लोकसभा सीटों और अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी थी। प्रदेश सचिवों को उनके प्रभार वाले विधानसभा क्षेत्रों का चुनावी कामकाज की जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन 400 से ज्यादा पदाधिकारी अपनी ड्यूटी पर पहुंचे ही नहीं। इनमें प्रदेश स्तर के 50 से अधिक पदाधिकारी हैं। असल में बूथ, मंडल, ब्लॉक और प्रदेश पदाधिकारियों के बेरुखी का असर वोटिंग प्रतिशत की कमी के तौर पर भी देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के पदाधिकारियों के मैदान में नहीं उतरने से वोटर बूथ पर नहीं पहुंचे।

जानकारी के अनुसार, अभी राजस्थान कांग्रेस में 40 प्रदेश महासचिव, 20 उपाध्यक्ष और 119 सचिवों सहित 400 ब्लॉक और 2200 मंडल अध्यक्ष-पदाधिकारी हैं। 15 से 20 महासचिव, तीन उपाध्यक्ष, 50 से 60 प्रदेश सचिव, इतने ही ब्लॉक अध्यक्ष और 300 मंडल अध्यक्ष और पदाधिकारी या तो निष्क्रिय रहे या अपने हिसाब से क्षेत्रों में चले गए। 20 प्रदेश उपाध्यक्षों में से 10 प्रदेश कार्यालय में देख रहे थे, लेकिन शेष 10 संभागों के प्रभारी थे।


पार्टी ने सभी पदाधिकारियों से मांगा ये ब्यौरा

कांग्रेस पार्टी ने ऐसे निष्क्रिय पदाधिकारियों को एक पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा है। इसमें पार्टी ने नेताओं से पूछा है कि चुनाव के दौरान आप कहां काम कर रहे थे? अपने प्रभार क्षेत्र में कितनी बार गए, कितनी मीटिंग ली? किन-किन कार्यक्रमों में हिस्सा लिया? विधानसभा चुनावों और अब लोकसभा चुनाव के दौरान आपने कहां काम किया? प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय की किस मीटिंग, किस कार्यक्रम में आप शामिल हुए? आपके नीचे के पदाधिकारियों के कामकाज की क्या स्थिति रही? यानी पार्टी के वार रूम ने जो रिपोर्ट बनाई है। इसी रिपोर्ट के आधार पर पार्टी वेरिफिकेशन करेगी। प्रदेशाध्यक्ष के स्तर पर उसकी जांच होगी और उसके बाद काम नहीं करने वाले पदाधिकारियों को कार्यकारिणी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।

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