एक बार फिर से INDIA गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर सियासत शुरू हो गई है। सियासत में कुछ लोग खुलकर तो कुछ दबी जुबान से प्रधानमंत्री के चेहरे पर बोल रहे हैं।

क्या विपक्ष के प्रमुख राजनीतिक दलों के गठबंधन समूह INDIA से प्रधानमंत्री का चेहरा राहुल गांधी ही होंगे। राजनीतिक दलों के नेता भले खुलकर इस पर कुछ ना बोलते हों, लेकिन कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर बोलकर सियासत गर्म कर दी। दरअसल गठबंधन में यही एक महत्वपूर्ण मुदा है, जो न सिर्फ सबसे संवेदनशील है बल्कि उस पर बोलने से लोग कतराते हैं। फिलहाल बघेल की ओर से 'सांसद नहीं प्रधानमंत्री चुन रहे हैं' लोग वाले बयान पर फिलहाल रायबरेली से लेकर दिल्ली वाया लखनऊ सियासी तूफान मच गया है।

एक बार फिर से INDIA गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर सियासत शुरू हो गई है। सियासत में कुछ लोग खुलकर तो कुछ दबी जुबान से प्रधानमंत्री के चेहरे पर बोल रहे हैं। दरअसल रायबरेली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इशारों-इशारों में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री का चेहरा बता दिया। बघेल ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि आप सांसद नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री चुन रहे हैं। उनके इस बयान के बाद सियासी पारा हाई हो गया। गठबंधन में शामिल प्रमुख दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच में इस बात को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है कि आखिर बघेल ने प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर राहुल गांधी को कैसे प्रोजेक्ट कर दिया। समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि उनके नेता अखिलेश यादव ने इस मामले में अपना जवाब दे दिया है। दरअसल अखिलेश यादव ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस सवाल को मोड़ते हुए कहा कि वह अपनी रणनीति किसी से साझा नहीं करने वाले।

INDIA गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि वह सब चाहते हैं कि राहुल गांधी ही गठबंधन के बड़े चेहरे हों और उनको सरकार बनने पर प्रधानमंत्री बनाया जाए। हालांकि उनका कहना है कि जब गठबंधन का कोई नेता खुलकर इस पर नहीं बोल रहा है, तो वह भी अपनी राय कैसे जाहिर कर सकते हैं। लेकिन उनकी पार्टी का प्रत्येक कार्यकर्ता राहुल गांधी को बतौर पीएम तो देखता ही है। राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार ओपी तंवर कहते हैं कि सियासी नजरिए से जो बात भूपेश बघेल ने बोली है, वह बहुत संवेदनशील है। क्योंकि इसी मुद्दे पर गठबंधन के नेताओं की ओर से दो टूक बात कही जा चुकी है कि वह प्रधानमंत्री के चेहरे को सामने रखकर चुनाव नहीं लड़ने वाले हैं। ऐसे में गठबंधन में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर सामने लाना कई तरह के सवाल खड़े करता है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि या तो इसमें गठबंधन के नेताओं और राजनीतिक दलों के बीच कोई आपसी सहमति बनी है। या फिर सिर्फ कांग्रेस नेताओं के अंदर राहुल गांधी को बतौर प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट करने की होड़ मची है। चुनावी रणनीतिकार हरीश भारद्वाज कहते हैं कि सियासत में जो भी बोला जाता है, उसका कुछ ना कुछ मतलब होता है। इसलिए राहुल गांधी को कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से बतौर प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट किए जाने के कई तरह के निहितार्थ तो निकलते ही हैं। भारद्वाज कहते हैं कि यह बात पहले से राजनीतिक गलियारों में कही जा रही है कि गठबंधन को इस वक्त एक बड़े राजनीतिक दल के तौर पर कांग्रेस लीड कर रही है। लेकिन चेहरे के तौर पर गठबंधन के किसी नेता को सामने खुलकर नहीं लाया जा रहा है।

हालांकि कांग्रेस के नेताओं ने इस पर खुलकर के कभी कुछ नहीं कहा। लेकिन इस बात को गठबंधन के भी कई बड़े नेता भी मानते हैं। जबकि गठबंधन के अन्य सयासी दल अपने नेता को बात प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट करने की बात करते आए हैं। वह कहते हैं कि गठबंधन की रणनीति के मुताबिक INDIA में शामिल कोई राजनीतिक दल अपने नेता को प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर आगे नहीं कर रहे हैं। राजनीतिक मामलों के जानकार प्रभात कुमार कहते हैं कि गठबंधन में शामिल सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की भी मांग उनके नेता को बतौर प्रधानमंत्री ही प्रोजेक्ट करने की रही है। वह कहते हैं कि जब पिछले साल गठबंधन बन रहा था, तो इस बात की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही थी कि आखिर इनका पीएम चेहरा कौन होगा। उसे दौरान इस मामले में आम सहमति नहीं बनी और इस मुद्दे को वहीं पर छोड़ दिया गया।

प्रभात कहते हैं कि शुरुआत में नीतीश कुमार से लेकर शरद पवार और मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर राहुल गांधी के नाम की चर्चाएं होने लगीं। लेकिन इससे गठबंधन की धुरी कमजोर पड़ने लगी, तो एक महत्वपूर्ण बैठक में तय किया गया कि प्रधानमंत्री के चेहरे पर कोई बात नहीं होगी। वह कहते हैं कि गाहे बगाहे गठबंधन से पीएम के चेहरे का जिक्र हो जाता है। जिसके चलते गठबंधन के भीतर सियासी उबाल भी आता है। उनका कहना है कि जिस तरह से इशारों-इशारों में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट किया है, वह उसी कड़ी का हिस्सा है। जिसमें कांग्रेस के नेता बीच-बीच में जनता के बीच न सिर्फ इमोशनल कार्ड बल्कि एक संदेश देने की कोशिश करते हैं।

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