चर्चित अभिनेता शेखर सुमन अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर रहे हैं। वे भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए हैं।

अभिनेता शेखर सुमन हाल ही में संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज 'हीरामंडी' में नजर आए। अब उन्हें लेकर अहम जानकारी सामने आ रही है। अभिनेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। शेखर सुमन आज दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में पार्टी में शामिल हुए।

पहले भी लड़ चुके हैं चुनाव

शेखर सुमन राजनीति में पहले भी किस्मत आजमा चुके हैं। वर्ष 2009 में अभिनेता ने कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था। तब शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा में थे और शेखर सुमन वह चुनाव हार गए थे। इसे लेकर बीते दिनों एक बातचीत के दौरान शेखर सुमन ने कहा था, 'मैं डिफॉल्ट रूप से राजनीति से जुड़ा था। ऐसी कोई चाहत नहीं थी। लेकिन कभी-कभी आप भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल हो जाते हैं और मैंने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि मैं अपने शहर, अपने समाज और अपने राज्य के लिए कुछ करना चाहता था'।

बीते दिनों की थी यह टिप्पणी

बीते दिनों शेखर सुमन ने स्टार प्रचारकों की तलाश कर रहे राजनीतिक दलों से ऑफर मिलने के बारे में भी खुलासा करते हुए कहा था, मुझे बहुत सारे प्रस्ताव मिले हैं, लेकिन जब वे अब मेरे पास आते हैं तो मैं बहरा और अंधा हो जाता हूं। मैंने खुद को राजनीति से दूर रखा है, क्योंकि वैसे भी हमें अपने जीवन में राजनीति से निपटना पड़ता है। तो पहले उससे ही निपट लें'। अपने इस बयान के कुछ दिनों बाद अभिनेता ने भाजपा का दामन थामा है।

ईश्वर का जताया आभार

पार्टी में शामिल होने के बाद शेखर सुमन ने कहा, 'कल तक मुझे खुद नहीं मालूम था कि मैं आज यहां बैठूंगा, क्योंकि जिंदगी में बहुत कुछ जाने-अनजाने होता है। कभी-कभी आप अनभिज्ञ रहते हैं कि आपका मुस्तकबिल क्या है और ऊपर से एक आमद होती है और फिर आप उस आदेश का पालन करते हैं। मैं इस पर बहुत ही सकारात्मक सोच के साथ यहां आया हूं। सबसे पहले मैं ईश्वर का शुक्रिया अदा करूंगा, उन्होंने मुझे यहां आने का आदेश दिया। जो राम ने रचा है, वो आपको करना है।' इसके अलावा अभिनेता ने पीएम नरेंद्र मोदी व अमित शाह सहित अन्य नेताओं का आभार जताया।

बोल- 'सिर्फ देश बदलने का ख्याल है'

शेखर सुमन ने आगे कहा, 'जब आप एक अच्छी सोच के साथ आते हैं तो अच्छा ही होता है। मेरे दिमाग में कोई नकारात्मक ख्याल नहीं है, सिर्फ देश का ख्याल है। मैं समझता हूं कि इंसान शब्दों पर बहुत निर्भर करता है और शब्दों का एक वक्त बाद कोई मायने नहीं होता। मैं चाहूं तो दिनभर यहां बैठकर भाषण दे सकता हूं। लेकिन उसका कोई मतलब नहीं है, मतलब तब होगा, जब मैं कुछ करके दिखाऊं'।

Azra News

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