काशी से प्रत्याशी के नाम के एलान से यूपी की सियासत बदल गई है। 24 घंटे के अंदर ही सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन हो गया। अब सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। सपा के खेमे में मायूसी छा गई। सपा के घोषित उम्मीदर सुरेंद्र पटेल अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनकी तैयारी धरी रह गई।

कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर सहमति के बाद समाजवादी पार्टी वाराणसी लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी वापस लेगी। 24 घंटे पहले ही सपा ने पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल को प्रत्याशी घोषित किया था। अब सीट कांग्रेस के पास चली गई है। इससे सपा के खेमे में मायूसी है। सुरेंद्र पटेल की चुनावी तैयारी भी धरी रह गई।

वह बुधवार की सुबह से ही कार्यकर्ताओं से संवाद करने लगे थे। राजनीति के जानकारों का कहना है कि वाराणसी से प्रत्याशी के नाम के एलान के साथ ही यूपी की सियासत बदली है। दबाव में आई कांग्रेस ने 17 सीट पर चुनाव लड़ने के पुराने फार्मूले पर ही समझौता कर लिया।


देश की सबसे प्रतिष्ठापरक लोकसभा सीट पर सपा ने प्रत्याशी उतारने का निर्णय कर कांग्रेस खेमे में खलबली मचा दी। कारण, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पिछले दो चुनाव में मैदान में उतर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस पूर्व सांसद राजेश मिश्र चुनाव मैदान में उतार सकती है।

वर्ष 2004 में राजेश मिश्र ने शंकर प्रसाद जायसवाल के विजय रथ को रोककर कांग्रेस का झंडा बुलंद किया था। हालांकि वर्ष 2009 में भाजपा के मुरली मनोहर जोशी ने उनकी जमानत जब्त करा दी थी। इसके बाद राजेश मिश्र ने वर्ष 2019 में सलेमपुर लोकसभा सीट और इससे पहले वर्ष 2017 में शहर दक्षिणी और वर्ष 2022 में कैंट विधानसभा से भी भाग्य आजमाया था। मगर, इन्हें करारी शिकस्त मिली थी।

दूसरे और तीसरे स्थान पर थी सपा और कांग्रेस

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार लाख से ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी। उन्हें 6 लाख 74 हजार 664 वोट मिले थे। जबकि नामांकन के बाद वे एक बार भी चुनाव में प्रचार के लिए नहीं आए थे। समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव 1,95,159 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहीं।

कांग्रेस के अजय राय 1,52,548 वोट पाकर तीसरे स्थान पर थे। इससे पहले वर्ष 2014 में पीएम मोदी को 5,81,022 वोट मिले थे। उन्होंने आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 3,71,784 वोटों से हराया था।

केजरीवाल को 2,92, 238 मत मिले थे। अगर सपा और कांग्रेस के पिछले चुनावों के परिणाम देखे जाएं तो यह साढ़े तीन लाख के ईद गिर्द ही रहा है।

पार्टी के हर निर्णय के साथ हूं। पार्टी ने एलायंस का फैसला किया है। इसमें वाराणसी सीट कांग्रेस के पास है। गठबंधन के फैसले का सम्मान करता हूं। पार्टी के आदेश का पालन करूंगा। -सुरेंद्र पटेल, पूर्व मंत्री

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से तीन सवाल

प्रश्न- आप कहते थे कि गठबंधन नहीं होगा?

उत्तर- मैं, गठबंधन के खिलाफ कभी नहीं था। मेरा मानना था कि सभी निर्णय आपसी सहमति से और जीत के लिए हों। अब ऐसा ही हुआ है।

प्रश्न- आप वाराणसी से प्रत्याशी बनेंगे?

उत्तर- प्रत्याशी चयन का फैसला मेरे अकेले का नहीं हो सकता। पार्टी की चुनाव समिति जिसका नाम तय करेगी वही मैदान में होगा।

प्रश्न- गठबंधन से फायदा होगा या नुकसान?

उत्तर- गठबंधन से फायदा होगा और हमारा प्रत्याशी तीन लाख मतों से शुरुआत करेगा। हम पूरी तैयारी से लड़ेंगे और अपनी ताकत का एहसास भी कराएंगे।

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