कम आयु में विवाह जच्चा व बच्चा के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: राजेंद्र

बाल विवाह न करने की दिलाई शपथ

- कम आयु में विवाह जच्चा व बच्चा के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: राजेंद्र

फोटो परिचय- (7) कार्यक्रम को संबोधित करतीं अतिथि।

फतेहपुर। बाल विवाह रोकथाम अभियान के तहत गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बालिका शिक्षा बाल विवाह परिषेध 2006 अधिनियम, बालिका स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए बाल विवाह के दुष्परिणाम को इंगित किया गया।

सोमवार को उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देशानुसार बाल कल्याण समिति व नेहरू युवा संगठन टीसी द्वारा ऐरायां ब्लाक के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय ऐरायां में गोष्ठी का आयोजन करके किया गया। गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बाल कल्याण समिति अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद साहू ने बाल विवाह का इतिहास, कानून व बाल विवाह के दुष्परिणामों की चर्चा करके कहा कि बाल विवाह बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास का बाधक है।

बाल विवाह की रोकथाम हेतु सिर्फ सरकारी ही नहीं सामुदायिक पहल की आवश्यकता है जिससे बचपन सुरक्षित हो सके। विधि सह परिवीक्षा अधिकारी धीरेन्द्र अवस्थी ने बाल विवाह परिषेध अधिनियम 2006 के बारे विस्तार से बताया कि बाल विवाह करने व विवाह संपन्न कराने में योगदान देने वाले सभी के ऊपर दो वर्ष की सजा व एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्राविधान है। महिला कल्याण अधिकारी पूनम तिवारी एवं सरिता ने बाल विवाह के दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए कहा कि बाल विवाह से सबसे बेटी अधिक प्रभावित होती है। कम उम्र में गर्वधारण से जच्चा बच्चा को खून की कमी, कुपोषण, तपेदिक, एड्स जैसे बीमारी होने के संभावना ज्यादा रहती है।

लगातार बीमार रहने से आर्थिक स्थिति भी खराब रहती है। कम उम्र में घरेलू काम के बोझ से मानसिक स्थिति भी सम्मान नहीं रहती है। लगातार बीमार रहने से बालिका व उसके बच्चे की उत्तरजीविता भी काम होती है जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर भी बढ़ती है। कार्यक्रम के अंत में सभी बालिका को अध्यक्ष बाल कल्याण समिति द्वारा बाल विवाह न करने व अपने पड़ोस व रिश्तेदारों में बाल विवाह न करने देने की शपथ दिलाई गई। संचालन वार्डन मंजू यादव ने किया। इस मौक़े पर प्रीति गुप्ता, उपासना, अलका मौर्या, सरोज सिंह, राम द्विवेदी आदि मौजूद रही।

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