मझवार आरक्षण के विषय पर केंद्र व राज्य सरकार गंभीर
मत्स्य विभाग की योजनाओं का मछुआ समाज को मिल रहा लाभ: संजय
मत्स्य विभाग की योजनाओं का मछुआ समाज को मिल रहा लाभ: संजय
- पूर्व की सरकारों ने मछुआ समाज के साथ किया भेदभाव
- मझवार आरक्षण के विषय पर केंद्र व राज्य सरकार गंभीर
फोटो परिचय- पत्रकारों से बातचीत करते कैबिनेट मंत्री डा. संजय कुमार निषाद।
फतेहपुर। केंद्र एवं प्रदेश सरकार के सहयोग से मत्स्य विभाग की सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मछुआ समाज को मिल रहा है। पूर्व की सरकारों ने मछुआ समाज के साथ भेदभाव किया। जिसके चलते मछुआ समाज काफी पिछड़ गया लेकिन केंद्र की मोदी व प्रदेश की योगी सरकार ने मछुआ समाज को आगे लाने का काम किया है। मझवार आरक्षण के विषय पर भी केंद्र व प्रदेश सरकार अत्यंत गंभीर हैं।
यह बात सोमवार को निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री डा. संजय कुमार निषाद ने एक दिवसीय भ्रमण के दौरान लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। उन्होने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही मत्स्य विभाग की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मछुआ समाज को सीधे तौर पर मिल रहा है। मोदी सरकार ने पिछले 9 वर्षों में देश के मछुआरों के विकास के लिए 39000 करोड रुपए आवंटित किए हैं। इसके विपरीत पूर्व की केंद्र की सरकारों ने 67 वर्ष में 3000 करोड रुपए ही आवंटित किए थे। उन्होंने बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकार प्रदेश के मछुआ समाज के विकास के लिए कटिबद्ध हैं।
मछुआ समाज के उत्थान हेतु विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाएं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, प्रधानमंत्री मछुआ दुर्घटना बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड (मत्स्य पालन क्षेत्र हेतु), मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना, निषाद राज वोट योजना, मछुआ कल्याण कोष संचालित की जा रही हैं। श्री निषाद ने निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी के आयोजित संवैधानिक मछुआ एससी आरक्षण महाजन संपर्क अभियान के संदर्भ में बताते हुए कहा कि निषाद पार्टी का गठन मछुआ आरक्षण को लेकर हुआ था और आज भी निषाद पार्टी अपने मुद्दे पर अडिग है। पूर्व की कांग्रेस, सपा, बसपा की सरकारों ने मछुआ एससी आरक्षण के मुद्दे पर मछुआ समाज को केवल गुमराह करने का काम किया था।
आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मछुआ आरक्षण के मुद्दे पर गंभीर है। मुख्यमंत्री ने आरजीआई रजिस्टार जनरल ऑफ़ इंडिया को पत्र लिखकर प्रदेश में मछुआ समाज को पूर्व में किस कोट के तहत आरक्षण मिलता था उसकी जानकारी मांगी थी। जिस पर उत्तर देते हुए कहा कि 1931, 1941, 1951, 1961, 1971, 1981 और 1991 तक उत्तर प्रदेश में मछुआ समाज की गिनती अनुसूचित जाति में की जाती थी। प्रदेश एवं केंद्र सरकार मछुआ आरक्षण के विषय पर गंभीर है और जल्द ही सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे।