नदियां सिर्फ जलधाराएं नहीं जीवनधाराएं भी: प्रवीण पाण्डेय

नदियां सिर्फ जलधाराएं नहीं जीवनधाराएं भी: प्रवीण पाण्डेय

- गंगा समग्र चला रहा मां गंगा जागरण अभियान

फोटो परिचय- गंगा समग्र अभियान को लेकर छात्रों को जागरूक करते प्रवीण पांडेय।

फतेहपुर। सरस्वती विद्या मंदिर खुशवक्तराय नगर में गंगा समग्र के प्रांत प्रमुख सहायक नदी आयाम प्रवीण पाण्डेय ने नदियों के संरक्षण संवर्धन पर सम्बोधित किया। श्री पांडेय ने बताया कि गंगा, यमुना, गोमती, सोन, ब्रम्हपुत्र, क्षिप्रा, काबेरी, मरुगंगा सहित देश भर की अनेक नदियों और उनकी सहायक नदियों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। सदियों से चली आ रही पर्यावण के प्रति उपेक्षाओं और मनमानियों का नतीजा दिखाई देता है।

जीवनदायिनी सदनीराओं का ये वो दर्द है जिसके हर पहलू का शायद एक आम इंसान को अंदाज़ा भी नहीं होता होगा। नदियां सिर्फ जलधाराएं नहीं होतीं वे जीवनधाराएं होती हैं। कभी हमारे पूर्वज इन्हीं जलधाराओं के किनारे-किनारे भटकते जीवन की आस में यहां बस गए थे। उन्होंने यहां खेत बनाये, मवेशी पाले, गांव बसाया। जिसके साथ गीत, लोक, समाज आया। आज वही जीवन बीज जल-धारा जीवन क्षय का कारण है। अगर हमने कभी अपनी नदियों के बारे में गंभीरता से नहीं सोचा, अगर उनका सूखना, मिटते जाना, रेत हटाए जाने से क्षरण होना, गंदगी से भरना, नाला बन कर रह जाना या उनके जल का विषैला होते जाना,

उनमें पल रहे जलीय जंतुओं का काम होते हुए लुप्त होने की कगार तक जा पहुंचना, कुछ भी कभी भी हमारी चिंता का विषय नहीं रहा है तो अब सभी को इस ओर थोड़ा सोचने की आवश्यकता है। अब जाग जाने का समय है। जिनके बारे में सामान्यतः व्यक्ति सोचता ही नहीं सहिमालय से निकलने वाली छः हज़ार नदियों में से अब केवल चार सौ शेष हैं क्या ये आंकड़ा चौंकाने वाला नहीं है? जीवनदाई जल लाने वाली नदियों का जल इतना दूषित है कि पीने के योग्य ही नहीं बल्कि कहां-कहीं तो इसमें घुले विषैले रसायनों की वजह से ये कैंसर जैसी घातक बीमारियों को फैला रहा है।

क्या इस बात से घबराहट नहीं होती? जलचर मरते जा रहे हैं गंगा में पाई जाने वाली 143 किस्म की मछलियों में से 29 से अधिक प्रजातियों के आगे अस्तित्व का संकट है। क्या ये चिंता का विषय नहीं? नदियों का संकट सिर्फ अंधाधुंध बजरी निकले जाने या बांध बांधने या कचरा, मूर्तियां, मैला, रसायन प्रवाहित करते जाने तक ही नहीं है बल्कि उससे कहीं गहरा और घातक है। सबसे गहरा संकट है कि हम अब भी जागे नहीं हैं। सफाई के नाम पर सरकारी योजनाएं बड़े बजट की बनती हैं लेकिन अंतर कहीं कुछ नज़र नहीं आता बल्कि रिवर फ्रंट जैसे चुनाव नदियों के जीवन के लिए और संकट उत्पन्न कर देते हैं। हमारी संस्कृति और आध्यात्मिकता की प्रतीक, भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की पांचवी सबसे लंबी नदी मां गंगा भी शामिल है।

यमुना सहित अन्य नदियां और उनकी सहायक नदियां भी नदियों की कराह साफ़ सुनाई देगी। साईं सिटी इंटर कॉलेज जयराम नगर, पराग साहू इंटर कॉलेज भिटौरा रोड, आरएस एक्सल स्कूल पक्का तालाब बाईपास फतेहपुर मे भी गंगा जागरण अभियान के तहत गोष्ठी आयोजित हुई। निबंध, और कला प्रतियोगिता के माध्यम मां गंगा के प्रति जागरूक किया गया। कार्यक्रम संयोजक सुयश गौतम, शोभा राम तिवारी, जिला संयोजक धीरज राठौर, जिला सह संयोजक कपिल दुबे, प्रशांत गौतम, अंकित जायसवाल, अजय त्रिपाठी, कविता रस्तोगी, कल्पना सिंह, साधना चौरसिया, आदित्य पाण्डेय आदि मां गंगा सेवक रहे।

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