आंवले की पूजा कर अखंड सौभाग्य का मांगा आशीर्वाद

आंवले की पूजा कर अखंड सौभाग्य का मांगा आशीर्वाद

फोटो परिचय- आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना करतीं महिलाएं।

मो. ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज फतेहपुर। परिवार में सुख-समृद्धि की स्थापना हेतु हिन्दू धर्म में अक्षय नवमी पर्व का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन ऑवला के वृक्ष की पूजा-अर्चना के उपरान्त उसकी छाया में बैठकर भोजन करने से परिवार में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली आती है। पुरानी परम्पराओं को कायम रखने एवं परिवार में धन-धान्य की इच्छा रखते हुए महिलायें खासतौर से इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना करती है इसीलिए इसे इच्छा नवमी भी कहा जाता है।

वैसे तो हिन्दू धर्म में विभिन्न प्रकार के व्रत एवं पर्वो का विशेष महत्व है, किन्तु अक्षय नवमी का महत्व अपने आपमें अनूठा है। दीपावली पर्व के बाद से विभिन्न प्रकार के छोटे-छोटे पर्व एवं त्योहारों को मनाने का जो दौर शुरू होता है वह लगातार कार्तिक पूर्णिमा तक अनवरत जारी रहता है। इसी कड़ी में अक्षय नवमी का भी विशेष महत्व है। आज महिलाओं ने सोलह श्रृंगार करने के बाद आंवले के वृक्ष की विधिवत् पूजा-अर्चना की तत्पश्चात् पुरातन परम्पराओं के तहत सुनायी जाने वाली कहानियों का बखान कर परिवार में सुख-समृद्धि एवं धन-धान्य की सम्पन्नता का आर्शीवाद मांगा। वैसे तो पुरातन समय में परिवार सहित भोजन करने की परम्परा थी, किन्तु बदलते समय के साथ यह पर्व केवल महिलायें बच्चों तक ही सीमित रह गया है। इसी दिन गाय-बछड़ा की पूजा-अर्चना करने की भी परम्परा है। कहा जाता है कि गाय-बछड़ा की पूजा करने से सौभाग्यवती एवं दूधो नहाओ पूतो फलों का आर्शीवाद प्राप्त होता है ऐसी मान्यता है।

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