नेपाल में सत्ताधारी गठबंधन पार्टी में फूट पड़ गई है। चुनाव आयोग में नई पार्टी के लिए आवेदन भी आए हैं। सत्ताधारी पार्टी से कई सांसदों, केंद्रीय समिति सदस्यों ने अपने को पार्टी से अलग कर लिया है।

नेपाल में सत्ताधारी गठबंधन पार्टी में फूट पड़ गई है। चुनाव आयोग में नई पार्टी के लिए आवेदन भी आए हैं। सत्ताधारी पार्टी से कई सांसदों, केंद्रीय समिति सदस्यों ने अपने को पार्टी से अलग कर लिया है।

नेपाल में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल की गठबंधन पार्टियों में से एक जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल (जेएसपी-एन) के कई सांसद, विधायक और कई केंद्रीय समिति सदस्य अलग हो गए हैं। अलग होने के बाद इन्होंने चुनाव आयोग में नई पार्टी बनाने के लिए आवेदन किया है। पार्टी के संघीय परिषद के अध्यक्ष अशोक राय के नेतृत्व में जेएसपी-एन ने एक नई पार्टी के लिए आवेदन दर्ज किया है। यह स्थिति तब बनी है जब पार्टी के अध्यक्ष उपप्रधानमंत्री उपेंद्र यादव, विदेश यात्रा पर हैं।

वहीं जेएसपी-एन विधायक प्रदीप यादव ने बताया कि 29 केंद्रीय समिति के सदस्यों और सात सांसदों ने संयुक्त रूप से एक नई पार्टी बनाने के लिए आवेदन किया है। पार्टी के 12 प्रतिनिधि सभा सदस्यों में से सात- राय, सुशीला शेरस्थ, प्रदीप यादव, नवल किशोर साह, रंजू कुमारी झा, बीरेंद्र महतो और हसीना खान ने 'जनता समाजवादी पार्टी' ('नेपाल' के बिना) नामक नई पार्टी का समर्थन किया है।

चुनाव आयोग ने सोमवार को अशोक राय के नेतृत्व वाली जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) को आधिकारिक तौर पर एक नए राजनीतिक दल के रूप में मान्यता भी दे दी। सूत्रों ने बताया कि राय ने यादव का मुकाबला करने के लिए प्रधानमंत्री प्रचंड की सलाह पर नई पार्टी पंजीकृत करवाई है।

नेपाल कांग्रेस (नेकां) अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने के प्रयास में हैं। इसके लिए विपक्षी नेपाली कांग्रेस और माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ दल गठबंधन सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट एक साथ आ गए हैं।

केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन (माओवादी सेंटर) वाला सत्तारूढ़ गठबंधन नवीनतम राजनीतिक घटनाक्रम के साथ संसद में एक संकीर्ण बहुमत बनाए रखने में कामयाब रहा है। राय के नेतृत्व वाले गुट के नेताओं ने दावा किया कि उन्हें पार्टी नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करना पड़ा क्योंकि यादव निरंकुश तरीके से पार्टी चला रहे थे। प्रदीप ने कहा कि अध्यक्ष ने पार्टी को एकतरफा चलाया और सांसदों का अनादर किया।

वन एवं पर्यावरण मंत्री नवल किशोर साह सुदी ने आरोप लगाया कि अध्यक्ष सत्तारूढ़ गठबंधन को तोड़ने की कोशिश के बाद नए संगठन को तैयार किया जा रहा है। नवल किशोर ने भी पार्टी छोड़ दी। उन्होंने कहा कि "हमने मौजूदा सरकार की स्थिरता के लिए यह फैसला लिया। पार्टी अध्यक्ष (यादव) इस गठबंधन के खिलाफ हैं लेकिन हम इस सरकार का समर्थन करना जारी रखेंगे।

सीपीएन-माओवादी केंद्र के केंद्रीय सदस्य सुनील कुमार मनंधर ने कहा कि जेएसपी-एन में विभाजन से फिलहाल सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा, इन अटकलों के बीच कि यह गठबंधन सरकार को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट और जेएसपी-एन सरकार से समर्थन वापस नहीं लेते, तब तक प्रचंड सरकार को विश्वास मत हासिल करने की कोई जरूरत नहीं है।

वहीं पार्टी प्रवक्ता मनीष सुमन ने कहा कि अकेले विधायक कोई पार्टी नहीं बनाते। पार्टी के अधिकांश नेता हमारे साथ हैं। उन्होंने कहा कि 300 सदस्यीय केंद्रीय समिति में से कई लोगों ने पार्टी छोड़ी है। यह विभाजन पार्टी में लंबे समय से चले आ रहे असंतोष के बाद हुआ है।

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