शैलेन्द्र साहित्य सरोवर की 388 वीं साप्ताहिक रविवासरीय काव्य गोष्ठी संपन्न
शैलेन्द्र साहित्य सरोवर की 388 वीं साप्ताहिक रविवासरीय काव्य गोष्ठी संपन्न
……ऐसा वार किया घर घुसकर, सारा जगत निहार रहा
– शैलेन्द्र साहित्य सरोवर की 388 वीं साप्ताहिक रविवासरीय काव्य गोष्ठी संपन्न
फोटो परिचय- काव्य गोष्ठी मंे भाग लेते कवि एवं साहित्यकार। मो. ज़र्रेयाब खान अज़रा न्यूज़ फतेहपुर। शहर के मुराइन टोला स्थित हनुमान मंदिर में शैलेन्द्र साहित्य सरोवर के बैनर तले 388 वीं साप्ताहिक रविवासरीय सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन केपी सिंह कछवाह की अध्यक्षता एवं शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी के संचालन में हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में मंदिर के महंत स्वामी रामदास उपस्थित रहे।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए केपी सिंह कछवाह ने वाणी वंदना मे अपने भाव प्रसून प्रस्तुत करते हुए कहा मंच विराजो शारदे, कविजन करें पुकार। अपनी कृपा कटाक्ष से,दो पुत्रों को प्यार।। पुनः कार्यक्रम को गति देते हुए काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार से अपने अंतर्भावों को प्रस्तुत किया हरे वृक्ष काटो नहीं, मैली करो नहीं जलधार। आहत होकर निज पुत्रों से, धरती करती करुण पुकार।। डा. सत्य नारायण मिश्र ने अपने भावों को एक छंद के माध्यम से कुछ इस प्रकार व्यक्त किया माया-मद-मत्सर त्रिगुण जाल। से सद्गुरु लेते हैं निकाल।। चंचल मन को मिलता विराम। उनको मेरा शत-शत प्रणाम।। प्रदीप कुमार गौड़ ने अपने क्रम में काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार भाव प्रस्तुत किए फिर देखा छप्पन का सीना, दुश्मन पानी मांग रहा। ऐसा वार किया घर घुसकर, सारा जगत निहार रहा।। डॉ शिव सागर साहू ने काव्य पाठ में अपने भावों को कुछ इस प्रकार शब्द दिए नम्रता पुरुष का आभूषण, आपस में प्रेम बढ़ाता है। दिल से दिल के मिल जाने पर, सौहार्द्र नेह बरसाता है।। काव्य गोष्ठी के आयोजक एवं संचालक शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी ने अपने भाव एक गीत के माध्यम से कुछ यों व्यक्त किये किस-किस तरह से नाच नचाती हैं जिंदगी। हंसती है आप, हंसके रुलाती है जिंदगी।। कार्यक्रम के अंत में स्वामी जी ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। आयोजक ने आभार व्यक्त किया।