नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने निजी अस्पतालों के भीतर स्थित दवा दुकानों में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की अधिक कीमतों के संबंध में याचिका पर उचित नीतिगत निर्णय लेने का काम मंगलवार को सरकार पर छोड़ दिया। एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि मरीजों को निजी अस्पतालों में संचालित दवा दुकानों से ऊंची दर पर दवाएं और चिकित्सा उपकरण खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि उसके द्वारा दिया गया कोई भी अनिवार्य निर्देश निजी अस्पतालों के कामकाज में बाधा उत्पन्न कर सकता है और इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने विधि छात्र सिद्धार्थ डालमिया और उनके वकील पिता विजय पाल डालमिया द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा कर दिया। याचिका में आरोप लगाया गया कि निजी अस्पताल मरीजों और उनके तीमारदारों को परिसर स्थित दवा दुकानों या उनसे संबद्ध दवा दुकानों से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर करते हैं और उनसे दवाओं, प्रतिरोपण और चिकित्सा उपकरणों के लिए ऊंची कीमतें वसूली जाती हैं।
निजी अस्पतालों में दवा कीमतों पर सरकार करे फैसला : सुप्रीम कोर्ट
