नयी दिल्ली: Vice President Dhankhar ने कानून के शासन को सामाजिक व्यवस्था का आधार करार देते हुए कहा है कि न्यायपालिका को मजबूत करने की आवश्यकता है। श्री धनखड़ ने सोमवार को यहां एक पुस्तक ‘दी कॉन्स्टिट्यूशन वीं एडोप्टिड ( विद आर्ट वर्क) ‘ के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि न्यायपालिका की रक्षा करनी होगी।यह सुनिश्चित करना होगा कि न्यायाधीश भयमुक्त होकर निर्णय ले सकें।
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वे कार्यपालिका की शक्तियों से निपटना, उद्योग की शक्तियों से जूझना, आर्थिक और संस्थागत ताकतों से टकराना जैसे कठिन काम करते हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को मजबूत सुरक्षा देनी चाहिए। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि न्यायाधीश जांच से बचें रहे।इसके लिए एक पारदर्शी, उत्तरदायी और त्वरित ‘इन-हाउस’ जांच प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।
श्री धनखड़़ ने कहा कि वर्ष 1991 के ‘के. वीरस्वामी निर्णय’ पर अब पुनर्विचार करने का समय आ गया है। इस अभेद्य सुरक्षा कवच की उत्पत्ति उच्चतम न्यायालय के के. वीरस्वामी निर्णय (1991) से हुई है। इसने जवाबदेही और पारदर्शिता की हर कोशिश को निष्प्रभावी किया है। अब समय आ गया है कि इसमें बदलाव होना चाहिए।