जबलपुर: मध्यप्रदेश High Court ने सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और गटर की भाषा का इस्तेमाल करने के लिए राज्य के मंत्री विजय शाह को फटकार लगाई। साथ ही पुलिस को उनके खिलाफ शत्रुता और घृणा को बढ़ावा देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया।
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कोर्ट ने यह भी कहा कि सशस्त्र बल ‘शायद इस देश में आखिरी संस्थान’ हैं जो ईमानदारी, अनुशासन, बलिदान, नि:स्वार्थ भाव, चरित्र, सम्मान और अदम्य साहस को दर्शाते हैं।’ कर्नल सोफिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारत के पक्ष को मीडिया के माध्यम से देश-दुनिया के सामने रखने वाली टीम का हिस्सा थीं। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और आदिम जाति कल्याण मंत्री शाह ने कर्नल कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां कर एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
उन्होंने कर्नल सोफिया को “आतंकवादियों की बहन” के रूप में पेश करने की कोशिश की थी। उन्होंने सोमवार को इंदौर के पास रामकुंडा गांव में एक सभा को संबोधित करते हुए ये अपमानजनक टिप्पणियां की थीं। उनके बयानों का स्वत: संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने पुलिस को मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने पुलिस विभाग को बुधवार शाम छह बजे तक प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।
खंडपीठ ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य), 196 (1) (बी) (धर्म, जाति, भाषा या अन्य समान विशेषताओं के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 197 (1) (सी) (बयान या कार्रवाई जो शत्रुता, या विभिन्न समूहों के बीच घृणा पैदा करता है) के तहत अपराधों के लिए शाह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।
कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि यह आज शाम तक किया जाना चाहिए और ऐसा नहीं होने पर कल जब मामले की सुनवाई होगी तो अदालत राज्य के पुलिस महानिदेशक के खिलाफ इस आदेश की अवमानना के लिए कार्यवाही पर विचार कर सकती है। महाधिवक्ता कार्यालय को निर्देश दिया जाता है कि यह आदेश तत्काल डीजीपी कार्यालय को भेजा जाए और सुनिश्चित किया जाए कि इसका पालन हो। विभिन्न अखबारों और डिजिटल मीडिया में सोमवार को महू के अंबेडकर नगर के रायकुंडा गांव में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में हुई घटना के कारण इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेने के लिए यह अदालत मजबूर हुई है।